11 सदी पुराना है ये मंदिर, मुरादों और रहस्य के लिए दुनिया झुकाती है शीश

जगन्नाथ पुरीजगन्नाथ मंदिर की महिमा के बारे में सभी जानते होंगे लेकिन क्या इस मंदिर के रहस्यों के बारे में भी जानते हैं. जगन्नाथ पुरी में कई ऐसे रहस्य हैं, जो आज भी उजागर नहीं हुए हैं.  उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर 10वीं शताब्दी में निर्मित प्राचीन मन्दिर सप्त पुरियों में से एक है. यह मंदिर भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है. इस मंदिर में मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती हैं.

ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार, पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था, जिसके बाद से वो सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए. जगन्नाथ मंदिर को धरती का वैकुंठ कहा जाता है. वहीं इस मंदिर की कुछ बातें दुनिया भर के लिए रहस्य बनी हुई हैं.

मंदिर के गुबंद पर लहराता झंडा

मंदिर का एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को हर रोज बदलता है. अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया, तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो सकता है. झंडा बदलने की रीति 1800 सालों से चली आ रही है. जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है.

सिंहद्वार

मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखने पर ही समुद्र की लहरों से आने वाली आवाज को नहीं सुन सकते. लेकिन जैसे ही मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देने लगती है.

सुदर्शन चक्र

पुरी में किसी भी स्थान से मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे, तो वो सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा.

मंदिर के ऊपर नहीं उड़ते हैं पक्षी और जहाज

अक्सर हर मंदिरों के शिखर पर पक्षी को बैठे और उड़ते देखा होगा.लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुज़रता. यहां तक कि हवाई जहाज भी मंदिर के ऊपर से नहीं निकलता. ये बात दुनिया के लिए आज भी रहस्य बनी हुई है.

उल्टी हवा

वैसे हवा समुद्र से जमीन की तरफ चलती और शाम को धरती से समुद्र की तरफ, लेकिन पुरी में इसके बिल्कुल उल्टा होता है.

कम नहीं पड़ता है अनाज

मंदिर में हर रोज़ कुछ 2 हजार लोगों से लेकर 20 हजार लोग दर्शन के लिए आते हैं और भोजन भी करते हैं, फिर भी अन्न की कमी नहीं पड़ती है.

मंदिर की छाया

इस मंदिर का डिजाइन काफी रहस्मयी है, क्योंकि दिन के किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती.

खाना बनाने का तरीका

मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं. इस प्रसाद को लकड़ी जलाकर पकाया जाता है. इसमें खास बात यह है कि सबसे ऊपर के बर्तन का प्रसाद पहले पकता है.

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