छोटा राजन फर्जी पासपोर्ट मामले में सेवानिवृत्त अधिकारी अदालत की शरण में

छोटा राजननई दिल्ली| अंडरवर्ड डॉन छोटा राजन के साथ फर्जी पासपोर्ट मामले में मुकदमे का सामना कर रही सेवानिवृत्त अधिकारी ललिता लक्ष्मणन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है। उन्होंने अदालत से अपने खिलाफ लगे आपराधिक और भ्रष्टाचार के आरोपों को रद्द करने की मांग की है। लक्ष्मणन के साथ ही दो अन्य पासपोर्ट अधिकारियों जयश्री दत्तात्रेय राहाटे और दीपक नटवरलाल शाह पर अपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, प्रतिरूपण और दस्तावेजों की जालसाजी के आराप लगाए गए हैं।

छोटा राजन और लक्ष्मण की मिलीभगत

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि गैंगस्टर राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन ने राहाटे, शाह और लक्ष्मणन की मिलीभगत से 1998-99 में बेंगलुरु से मोहन कुमार के नाम से फर्जी पासपोर्ट बनवाया था।

ये तीनों आरोपी जमानत पर हैं, जबकि राजन न्यायिक हिरासत में है।

लक्ष्मणन बेंगलुरु के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में कार्यरत थीं। उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोप रद्द किए जाने की मांग की है।

निचली अदालत ने आठ जून को छोटा राजन और अन्य के खिलाफ फर्जी पासपोर्ट मामले में आरोप दर्ज किए थे।

लक्ष्मणन (62) ने अपने वकील सत्यनारायण वशिष्ठ के जरिए अपनी याचिका में कहा है कि निचली अदालत का आठ जून का फैसला, ‘गैर कानूनी, अनुचित, कानूनन खराब और अधिकार क्षेत्र के बाहर है।’

लक्ष्मणन ने कहा कि जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू करने से पहले ‘पासपोर्ट अधिनियम और अपराधिक प्रक्रिया संहिता’ के तहत मंजूरी नहीं ली थी।

याचिका में कहा गया है कि 1998-99 में जब छोटा राजन को कथित पासपोर्ट जारी किया गया था, तब वह बैंगलोर के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में एक सहायक के तौर पर नियुक्त थीं।

याचिका के मुताबिक, “उनके और अन्य लोगों के खिलाफ लगे आरोपों की सुनवाई दिल्ली की निचली अदालत के क्षेत्राधिकार के बाहर है क्योंकि कथित पासपोर्ट बैंगलोर में जारी किए गए थे। दिल्ली में कुछ नहीं हुआ था।”

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