छात्रवृत्ति घोटाला मामले पर सरकार पर उठ रहे सवाल

करोड़ों रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल करने वाले रविन्द्र जुगरान ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल उठाए है। उन्होंने सवाल किया है कि कई सालों से घोटाले को दबाने का प्रयास करने वाले अधिकारियों को आखिर कौन संरक्षण दे रहा हैं। डोईवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई न होना सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है।

छात्रवृत्ति

राज्य आंदोलनकारी और छात्रवृत्ति घोटाले में याचिका दायर करने वाले रविन्द्र जुगरान ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम चार पेज का पत्र लिखा हैं। जिसमें छात्रवृत्ति घोटाले की शिकायत से लेकर अब तक हुई कार्रवाई का सिलसिलेवार उल्लेख किया है। पत्र में कहा है कि समाज कल्याण द्वारा संचालित छात्रवृत्ति योजना में व्यापक स्तर पर अनियमितताएं हुई है।

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अपर सचिव वी षणमुगम की प्रारंभिक जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी है। आपके (सीएम) द्वारा जून 2017 में एसआईटी गठन करने के साथ तीन माह में जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए थे। दो साल बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई है, जो सरकार के  जीरो टॉलरेंस की नीति के विपरीत है।

बड़ी बात ये है कि लगातार दोषी अधिकारियों को बचाने के साथ जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान एसआईटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने समाज कल्याण निदेशालय और जिला समाज कल्याण अधिकारियों के अभिलेख उपलब्ध न कराने की शिकायत की थी। हाईकोर्ट ने इसी कड़ी में मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने के आदेश दिए है। पत्र में दोषी अधिकारियों को दंडित करने के साथ उन्हें संरक्षण देने वालों को देहरादून से स्थानांतरित करने की मांग उठाई है। उन्होंने लिखा है कि समाज कल्याण विभाग पर डालकर सरकार व मंत्रिमंडल अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता है।

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