छत्रपति की हत्या में दोषी राम रहीम के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कुछ नहीं बिगड़ेगा

शुक्रवार को गुरमीत राम रहीम समेत कुल चार आरोपियों को दोषी करार दिया। सजा 17 जनवरी को सुनाई जाएगी। रामचंद्र के बेटे अंशुल छत्रपति ने राम रहीम को फांसी की सजा सुनाई जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि नेता उनके परिवार के लोगों या परिचितों से कहते थे कि राम रहीम से समझौता कर लो।

नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर अंशुल ने कहा कि हरियाणा के एक पूर्व सीएम ने उनके पिता के एक मित्र से कहा था कि बाबा का कुछ नहीं बिगड़ेगा। पंजाब के एक पूर्व मंत्री ने भी समझौते की सलाह दी थी। लेकिन हमने कानूनी लड़ाई जारी रखी। अंशुल ने भास्कर प्लस ऐप से बातचीत में राम रहीम के खिलाफ 16 साल लंबी कानूनी लड़ाई के संघर्ष से जुड़ी बातें बताईं।

‘‘हां, एक बार पंजाब के एक पूर्व मंत्री ने हमारे रिश्तेदार को बुलाकर समझौता करने को कहा। उन्होंने मना कर दिया तो उस मंत्री का कहना था कि छत्रपति के परिवार का पहले ही बहुत कुछ बिगड़ चुका है। अब और न बिगड़े इसलिए उनसे कहो कि समझौता कर लें। इसके बाद हमारे पिता के दोस्त एक सरपंच को हरियाणा के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने बुलाया और समझौते के लिए कहा। उन्होंने मना कर दिया। तब उस मुख्यमंत्री का कहना था कि जो मर्जी कर लो बाबा का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। जब 2017 में साध्वी यौन शोषण मामले में बाबा को सजा हुई तो पूर्व मुख्यमंत्री की मौत हो चुकी थी। तब हमारे घर वही सरपंच आए और बोले कि यदि आज वो पूर्व सीएम जिंदा होते तो उन्हें दिखाता कि राम रहीम की क्या हालत है।’’

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‘24 अक्टूबर को करवाचौथ का दिन था। मां के मायके में किसी की मौत हो गई थी तो वे पंजाब गई हुई थीं। पिता उस दिन जल्दी घर आ गए। रात करीब सवा 8 बजे हम खाना खाने की तैयारी कर रहे थे कि बाहर से किसी ने पिता को आवाज दी। वे बाहर गए तो उनके पीछे-पीछे हम भी चले गए। बाहर खड़े दो युवकों में से एक ने फायरिंग शुरू कर दी। वे फायर करके भाग निकले और पिता वहीं गिर गए। वे एक बार उठे और फिर दरवाजे के बाहर आकर गिर गए। उन्हें अस्पताल ले गए, जहां हालत खराब होने की वजह से रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया गया।’’

‘‘2003 में यह केस सीबीआई के हवाले हुआ। राम रहीम बहुत प्रभावशाली व्यक्ति था। उसने केंद्र तक दबाव डलवाकर सीबीआई जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। सीबीआई के तीन नोटिस के बावजूद राम रहीम दिल्ली में पूछताछ के लिए पेश नहीं हुआ। आखिर में सीबीआई को खुद सिरसा आना पड़ा। यहां भी सीबीआई पर कई तरह की शर्तें लगा दी गईं। लेकिन, सीबीआई ने सभी शर्तें दरकिनार करते हुए जांच की और 2007 में चालान पेश किया। वहीं पुलिस ने गोली लगने के बाद गवाही में राम रहीम का नाम चार्जशीट से हटा दिया था। सरकार के दबाव में आनन-फानन में चार्जशीट पेश कर सिरसा कोर्ट में ट्रायल शुरू करवा दिया। पुलिस ने हर कदम पर हमें निराश ही किया।’’

‘‘कुलदीप और निर्मल शूट करने आए थे। किशन लाल की लाइसेंसी रिवाॅल्वर का इस्तेमाल हुआ था। ये लोग तो महज एक जरिया थे। ये सभी डेरे के अंदर रहते थे, श्रद्धालु थे। उनकी बाबा में श्रद्धा थी। असल में गुरमीत राम रहीम ने उन्हें अपने लिए इस्तेमाल किया। बड़ा दोषी गुरमीत राम रहीम है। कुलदीप और निर्मल की मेरे पिता से कोई दुश्मनी नहीं थी। हां, यह एक साजिश के तहत हुआ, इस वजह से भागीदार वे भी हैं।’’

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