जानिए घर में च्यवनप्राश बनाने की रेसिपी…

च्यवनप्राश आपकी सेहत के लिए कितना healthy है ये तो आप जानती ही हैं। आपके घर के हर सदस्य को च्यवनप्राश दिन में एक बार जरूर खाना चाहिए। लेकिन बाजार में मिलने वाले च्यवनप्राश में मिलावट हो सकती है ये बात सब जानते हैं ऐसे में अपनी सेहत के साथ किसी भी तरह का risk क्यों लेना जब आप अपने घर पर आसानी से च्यवनप्राश बना सकती हैं। ऐसे में ज्यादा खर्चा करने की भी क्या जरूरत है। आपको घर पर च्यवनप्राश बनाने के लिए 40 चीज़ें चाहिए जिसे 5 अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है। प्रधान सामग्री, संसाधन सामग्री, यमक सामग्री, संवाहक सामग्री और प्रेक्षप सामग्री। आइए आपको बताते हैं कि इन 5 हिस्सों में कौन-कौन सी सामग्री होती है। वैसे आपको ये भी बता दे कि ये सारा सामान आपको आसानी से पंसारी की दुकान से मिल जाएगा आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। सारे सामान में सबसे महंगा केसर होगा बाकी सबकी कीमत इतनी ज्यादा नहीं है।

जानिए घर में च्यवनप्राश बनाने की रेसिपी...

प्रधान सामग्री
च्यवनप्राश बनाने से लिए आपको सबसे पहले प्रधान सामग्री की जरुरत होती है और वो है आंवला। जो रेसिपी हम आपको बता रहे हैं उसके लिए आपको 5 किलो आंवला की जरुरत है। आंवला च्यवनप्राश बनाने के लिए सबसे जरूरी होता है। आंवला आपकी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है ये तो आप जानती ही हैं।

जानिए घर में च्यवनप्राश बनाने की रेसिपी...

संसाधन सामग्री
अकरकरा, शतावरी, ब्राह्मी, बिल्व, छोटी हर्र (हरीतकी), बिदरीकन्द, सफेद चन्दन, वसाका, कमल केशर, जटामानसी, गोखरू, बेल, कचूर, नागरमोथा, लौंग, पुश्करमूल, काकडसिंघी, दशमूल, जीवन्ती, पुनर्नवा, अंजीर , अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी के पत्ते, मीठा नीम, सौंठ, मुनक्का, मुलेठी ये सब सामान संसाधन सामग्री का है। इन सबको बराबर 50 ग्राम मात्रा में ले लें। ये सब आपकी सेहत के लिए कितने फायदेमंद है ये च्यवनप्राश खाने के बाद आपको अपनी सेहत में सुधार देखकर समझ आ जाएगा। इन्हें खाने से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

यमक सामग्री
यमक सामग्री में दो चीज़ें होती हैं एक शुद्ध देसी घी और दूसरा तिल का तेल। आप इन दोनों तो 250 ग्राम की बराबर मात्रा में ले लें।

संवाहक सामग्री
च्यवनप्राश बनाने के लिए चौथी सामग्री जो आपको चाहिए वो है चीनी। 5 किलो आंवले के साथ अगर आप च्यवनप्राश बना रही हैं तो इसके लिए आपको तीन किलो चीनी की जरूरत है। चीनी डालने की जरूरत इसलिए है कि च्यवनप्राश में ऐसी कई जड़ी बुटियां हैं जिनका स्वाद कड़वा है।

प्रेक्षप सामग्री
सबसे जरूरी चीज़ च्यवनप्राश बनाने के लिए आपको चाहिए वो है सब आती हैं प्रेक्षप सामग्री में अब आपको इसमें क्या-क्या चाहिए और कितनी मात्रा में चाहिए वो भी जान लीजिए। पिप्पली- 100 ग्राम, बंशलोचन- 150 ग्राम, दालचीनी- 50 ग्राम, तेजपत्र- 20 ग्राम, नागकेशर- 20 ग्राम, छोटी इलायची- 20 ग्राम, केसर- 2 ग्राम, शहद – 250 ग्राम ये सारा सामान आपको पंसारी की दुकान से ही आसानी से मिल जाएगा।

अब आपको घर पर च्यवनप्राश बनाने का तरीका बताते हैं यानि की सामग्री वैसे आप एक बात नोट कर लीजिए कि च्यवनप्राश बनाने के लिए लोहे की कढ़ाही की जरूरत होती है।

च्वयनप्राश बनाने की विधि
घर पर च्यवनप्राश बनाने के लिए आप सबसे पहले आंवला अच्छे से धोकर और फिर एस कपड़े की एक पोटली में बांध लें।
अब आप एक बड़ा स्टील का बर्तन लें उसमें पानी डालें और फिर उसमें संसाधन सामग्री वाला सारी चीज़ें डाल दें और पोटली में बंधा आंवला भी इसी पानी में भिगों दें।
इस बर्तन को आप गैस पर रख दें जब पानी अच्छे से उबलने लगें तो तो आप गैस को धीमी आंच पर रख दें और इसे आप 1-2 घंटे के लिए उबलने दें। आंवला नरम हो जाएगा। अब आप इसे गैस से उतार कर 10-12 घंटे के लिए ढक कर रख दें। आंवले और सारी जड़ी बूटियों का फायदा इसी पानी में आ जाएगा।
आंवले में सारी जड़ी बूटियों का असर आ जाएगा इसका रंग भी बदल जाएगा। अब 10-12 घंटे बाद आप आंवले की पोटली को पानी से निकाल लें और इसकी गुठली निकालकर इसे काट लें।

घर में यह दवा बनाएं, 80 रोगों को दूर भगाएं…
पानी में जो जड़ी बूटियां हैं उन्हें आप छलनी से छान लें। ध्यान रखें कि पानी को फेंकना नहीं है। च्यवनप्राश जब आप बना रही होंगी तब इसकी जरूरत आपको होगी। ये पानी बहुत ही फायदेमंद है। वैसे आप छलनी की जगह कपड़े का इस्तेमाल भी कर सकती हैं छानने के लिए।
अब इस पल्प को आप लोहे की कढ़ाही में भून लें इसे जितना पकाएंगें ये उतना गाढ़ा हो जाएगा।
अब आप कढ़ाही में तिल का तेल डाल कर गरम करें और इस गरम तेल में घी डालें जब तिल का तेल और घी अच्छी तरह गरम हो जाय तब आंवले का छाना हुआ पल्प डालिये और चमचे से हिलाती रहें।
जब इस मिश्रण में उबाल आने लगे तब आप इसमें चीनी मिला दें। लगातार चम्मच से हिलाते हुए आप मिश्रण को चलाती रहें. ये जैसे-जैसे पकेगा और गाढा होता जाएगा ध्यान रखें कि आप इसे पतला करने के लिए जड़ी बूटी वाला पानी इस्तेमाल कर सकती हैं लेकिन इसे आप लोहे की कढ़ाही में ही पकाएं स्टील के बर्तन का इस्तेमाल ना करें। लोहे के बर्तन में खाना पकाने के बहुत फायदे होते हैं।
जब मिश्रण अच्छी तरह से गाढ़ा हो जाए तो गैस बंद कर दें और इसे लोहे की कढ़ाही में ही 5-6 घंटे के लिए ढक कर पड़ा रहने दें। 5-6 घंटे बाद आप चाहें तो इसे स्टील के बर्तन में भी निकाल सकती हैं।
अब सबसे लास्ट में बारी आती है प्रेक्षप सामग्री की इसमें छोटी इलायची को छील लें इसके बाद छिली हुई छोटी इलायची के दानो में पिप्पली, बंशलोचन, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर को मिक्सी में एकदम बारीक पीस लें।
अब इस पिसी सामग्री को शहद और केसर में मिलाकर आंवले के मिश्रण में अच्छी तरह से मिला दे।
आयुर्वेदिक च्यवनप्राश तैयार है।

टिप्स : च्यवनप्राश बनाने के लिए आप सभी सामग्री पहले से ही ले आएं। इससे आपको आसानी होगी। लोहे की कढ़ाही में ही च्यवनप्राश बनाया जाता है। और प्रेक्षप सामग्री को जब आप मिक्सी में पीस लें तो आप इसका ढक्कन हटाकर इसे थोड़ी देर के लिए रहने दें इसकी महक निकल जाएगी तो स्वाद और अच्छा आएगा।

च्यवनप्राश जब तैयार हो जाए तो इसे airtight container में भर कर रख दें। ये साल भर खराब नहीं होगा। दवा बनाएं, 80 रोगों को दूर भगाएं

भले ही आपको यकीन न हो, लेकिन सिर्फ एक दवा का प्रयोग कर आप 80 प्रकार के वात रोगों से बच सकते हैं। जी हां, इस दवा का सेवन करने से आप कठिन से कठिन बीमारियों से पूरी तरह से निजात पा सकते हैं। अगर आपको भी होते हैं वात रोग, तो पहले जानिए इस चमत्कारिक दवा और इसकी प्रयोग विधि के बारे में…

विधिः 200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें। अब लगभग 4 लीटर दूध में लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर गाढ़ा होने तक उबालें। फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री, 400 ग्राम गाय का घी तथा सौंठ, काली मिर्च, पीपर, दालचीनी, इलायची, तमालपात्र, नागकेशर, पीपरामूल, वायविडंग, अजवायन, लौंग, च्यवक, चित्रक, हल्दी, दारूहल्दी, पुष्करमूल, रास्ना, देवदार, पुनर्नवा, गोखरू, अश्वगंधा, शतावरी, विधारा, नीम, सुआ व कौंचा के बीज का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आंच पर हिलाते रहें। जब मिश्रण घी छोड़ने लगे लगे और गाढ़ा मावा बन जाए, तब ठंडा करके इसे कांच की बरनी में भरकर रखें।
प्रयोग : प्रतिदिन इस दवा को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में, सुबह गाय के दूध के साथ लें (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।)परंतु ध्यान रखें, इसका सेवन कर रहे हैं तो भोजन में मूली, अधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न करें और स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।

इससे पक्षाघात (लकवा), अर्दित (मुंह का लकवा), दर्द, गर्दन व कमर का दर्द,अस्थिच्युत (डिसलोकेशन), अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग, गृध्रसी (सायटिका), जोड़ों का दर्द, स्पांडिलोसिस आदि तथा दमा, पुरानी खांसी,हाथ पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न, कंपन्न आदि के साथ 80 वात रोगों में लाभ होता है और शारीरिक विकास होता है।
दवा के प्रयोग से पूर्व, अपनी प्रकृति के अनुसार किसी उत्तम वैद्य की सलाह अवश्य लें।

 

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