सर्दियों के मौसम में चेहरे पर आई झाईयों को पलक छपकाते ही दूर करेगा ये घर का जबरदस्त उपाय
गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोन में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होता है। महिला हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन, मेलानोसाईट उत्तेजक हार्मोन (एम एस एच से त्वचा में की झाइयों बढ़ जाती है) और अन्य हार्मोन के स्तर में वृद्धि होने लगती है। इसके अलावा, बढ़े हुए वजन के कारण त्वचा में स्ट्रेच मार्क्स भी आ जाते है। यह मुख्य रूप से पेट के क्षेत्र में, लेकिन हाथ और पैर पर भी देखने को मिलते है। स्ट्रेच माक्र्स के अलावा जो समस्या महिलाओं को अधिक होती है वह है झाईयों की।
दरअसल, एंड्रोजन के बढ़े हुए स्तर के कारण गर्भावस्था के तीसरे हफ्ते में स्किन संबंधित परेशानियां बढ़ जाती हैं। हॉर्मोन के बढ़े हुए स्तर के कारण त्वचा से प्राकृतिक तेल निकलने की गति तेज हो जाती है। एक्ने, रेशेज, स्किन स्पॉट्स और त्वचा के बदरंग होने जैसी समस्याएं होती हैं। कई महिलाओं को आंखों के नीचे काले घेरे या डार्क सर्कल्स हो जाते हैं। यह अस्थाई होता है और आमतौर पर गर्भावस्था के आखिरी महीनों तक खत्म भी हो जाता है।
प्रेग्नेंसी में झाईयां
इसे ‘मास्क ऑफ प्रेग्नेंसी’ या ‘पिग्मेंटेशन’ भी कहा जाता है, यह समस्या गर्भावस्था के दौरान देखी जाने वाली आम समस्या है। यह हार्मोनल परिवर्तन दौरान भी यह समस्या देखने को मिलती है। खासतौर पर मौखिक हार्मोन लेने वाली महिलाओं को। पिग्मेंटेशन त्वचा की रंगत एक समान न रहना, ऊपरी होठों का रंग गहरा हो जाना, चेहरे, हाथों, पैरों, छाती या शरीर के अन्य अंगों पर काले या गहरे भूरे रंग के धब्बों के रूप में नजर आता है। यूवी जोखिम के साथ हार्मोन के स्तर में बदलाव पिग्मेंटेशन के लिए जिम्मेदार होता हैं। गर्भावस्था के दौरान सनस्क्रीन का प्रयोग इस समस्या को बढ़ने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है।
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इसके लिए बाहर जाने से 30 मिनट पहले स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन एसपीएफ 30 या उससे अधिक लगाना चाहिए और हर दो घंटे के बाद इसे फिर से लगाना चाहिए। आहार में गहरे रंग की सब्जियां और फल का अधिक सेवन भी इसमें आपकी मदद कर सकता है। इन खाद्य पदार्थों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट मुक्त कणों के कारण होने वाले त्वचा के नुकसान को रोकते है, जो अक्सर यूवी प्रदर्शन के दौरान त्वचा में उत्पन्न होती है।
प्रेग्नेंसी में स्किन में आते हैं ये बदलाव
इसके अलावा, पेट में बच्चे के दबाव के कारण रक्त पैरों में इकट्ठा हो जाता है। इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप त्वचा में कई प्रकार के बदलाव आते है। ये त्वचा में आने वाले परिवर्तन अस्थायी और कॉस्मेटिक होते हैं। ऐसे में इन सबसे ज्यादा परेशान न हो क्योंकि वक्त के साथ ये समस्यायें काफी हद तक ठीक हो जाती हैं और आमतौर पर डिलीवरी के बाद स्वयं ही दूर हो जाती है।
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मुंहासों की समस्या
प्रेग्नेंसी के दौरान त्वचा से जुड़ी एक अन्य समस्या के रूप में एक्ने आम माना जाता है। कई महिलाओं को गर्भावस्था के प्रथम तिमाही में एस्ट्रोजन के स्तर के बदलने के कारण एक्ने की समस्या होती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के आधार पर क्रीम या लोशन ले सकते हैं। वैसे डिलिवरी के बाद ये स्वयं खत्म भी हो जाते हैं। एक्ने के इलाज के लिए रेटिनॉयड्स का ओरल इंटेक खतरनाक हो सकता है। यह गर्भस्थ शिशु की सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है इसलिए एक्ने के लिए केवल स्किन पर लगाई जाने वाली क्रीम ही इस्तेमाल करें।