चेहरा बदला, नजरिया नहीं… सेंसर बोर्ड के फंदे में आई एक और फिल्म

सेंसर बोर्ड के फेर मेंमुंबई। साल 2017 फिल्मी हस्‍तियों के लिए ही नहीं फिल्मों के लिए भी काफी कठिनाइयों से भरा रहा है। इस साल की शुरुआत से ही फिल्में सेंसर बोर्ड के फेर में फंसती रही हैं। इंटीमेसी सीन से लेकर सांप्रदायिक मुद्दे फिल्म की रिलीज के आड़े आते रहे हैं।

इस साल सेंसर बोर्ड के अध्‍यक्ष की कुर्सी पर बैठने वाला चेहरा बदला पर नजरिया नहीं। पहले पहलाज निहलानी फिर प्रसून जोशी दोनों का ही नजरिया फिल्मों और फिल्‍मकारों के प्रति एक समान रहा।

हाल ही में, ‘न्‍यूड’, ‘एस दुर्गा’ जैसी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने की वजह से सेंसर बोर्ड सुर्खियों में थी। इसके अलावा इस साल कई ऐसी फिल्में रही, जिन्‍हें रिलीज डेट देने के लिए सेंसर बोर्ड ने फिल्‍मकारों को दिन में तारे दिखा दिए थे।

इस साल सेंसर बोर्ड के फैसलों को देखकर ऐसा लगा कि वह समाज के हित में कम और सरकार के हित में ज्‍यादा फैसले कर रही है। सेंसर बोर्ड ने एक और फिल्म को फिलहाल रिलीज न करने का फैसला लिया है।

हाल ही में फिल्‍म ‘द ब्रदरहुड’ पर लगा प्रतिबंध एक बार फिर सेंसर बोर्ड के फैसले पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।

फिल्‍म ‘द ब्रदरहुड’ पर सेंसर बोर्ड ने सांप्रदायिक भावनाओं को आहत करने के अंर्तगत कुछ सीन पर कैंची चलाने के आदेश दिए हैं।

हर बार की तरह इस बार भी कैंची चलाए जाने वाले सीन को फि‍ल्‍मकार ने फिल्म की जान बताया है। इससे पहले भी सेंसर बोर्ड कई फिल्मों के सीन हटाने की मांग कर चुकी है। सेंसर बोर्ड के मुताबिक भले ही वो सीन आपत्‍त‍िजनक हों, लेकिन फिल्मकारों के लिए वो फिल्म की जान होते हैं।

यह भी पढ़ें: बिग बी ने पूरी की ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ की शूटिंग, ऊर्जा से भरपूर रहा सफर

बता दें, फिल्म ‘द ब्रदरहुद’ बिसाहड़ा कांड पर आधारित है। इस डॉक्युमेंट्री फिल्म में साल 2015 में हुए अखलाक लिंचिंग केस को दिखाया गया है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के तीन सीन को हटाने के लिए बोला है। उसे हटाए बिना फिल्म को प्रमाणित नहीं किया जा सकता है।

इस मांग से फिल्मकार पंकज पराशर बिल्‍कुल भी सहमत नहीं हैं। उनके मुताबिक यह तीन सीन फिल्‍म की जान हैं। सेंसर किए गए एक सीन में भारतीय जनता पार्टी का नाम भी है। हालांकि फिल्मकार को इसे हटाने में कोई आपत्ति नहीं है।

यह भी पढ़ें: तस्वीरें: भूमि ने ब्राइडल लुक में कराया ग्लैमरस फोटोशूट

फिल्म में बिसाहड़ा गांव में अखलाक हत्याकांड (दादरी लिंचिंग केस) के बाद पैदा हुए हालात और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के दो गांवों घोड़ी बछेड़ा और तिल बेगमपुर के ऐतिहासिक रिश्तों को दर्शाया गया है।

याद दिला दें, 28 सितंबर 2015 को दादरी के रहने वाले मोहम्मद अखलाक को घर में गोमांस रखने की अफवाह के चलते 200 लोगों ने पीट-पीटकर हत्‍या कर दी थी। इस केस में एक स्थानीय बीजेपी नेता और उसके रिश्तेदारों समेत 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

सैंपल की जांच में उनके घर में बछड़े के मांस की पुष्‍टि की गई थी। इसपर अखलाक के भाई का कहना था कि घर में गोमांस रखना अपराध नहीं है।

अब फिल्म का क्‍या होगा ये तो आने वाला वक्‍त ही बताएगा।

LIVE TV