चुनाव के तीन चरण बीत जाने के बाद भी नेता लगातार अफसरों पर साध रहे निशाना

रिपोर्ट- अविनाश कुमार

यूपी में लोकसभा चुनाव का तीन चरण बीत गया लेकिन इन चरणों में नेताओं ने अफसरों को जमकर निशाने पर लिया। राजनीतिक दलों ने कई जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों समेत चुनाव आयोग को भी नहीं छोड़ा।


लोकसभा चुनाव परवान चढ़ने के साथ ही ब्यूरोक्रेसी पर नेताओं के हमले तेज होते जा रहे हैं, मनमाफिक प्रचार न कर पाने और अफसरों की ओर से आचार संहिता के उल्लंघन पर टोका जाना नेताओं को रास नहीं आ रहा, नतीजा वे अफसरों पर भेदभाव का आरोप लगाने से नहीं चूक रहे।

हैरानी की बात यह है कि इसकी जद में सूबे के डीजीपी ओपी सिंह आ चुके हैं तो चुनाव आयोग के अधिकारी भी विपक्षी दलों के ऐसे आरोपों से नहीं बच सके है। रामपुर में तो गठबंधन प्रत्याशी आजम खां ने डीएम के खिलाफ बाकायदा मोर्चा ही खोल दिया है।

रामपुर सीट पर डीएम आंजनेय कुमार सिंह के खिलाफ गठबंधन प्रत्याशी आजम खां ने सारी मर्यादा को भुलाते हुए कई बार आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। इसी तरह रायबरेली की डीएम नेहा शर्मा के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है।

लखनऊ में भी तमाम उम्मीदवारों के पर्चे खारिज होने के बाद उन्होंने प्रशासनिक अफसरों पर ही पक्षपात करने के आरोप जड़ दिए। मामले में वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल बताते हैं कि पहले चुनाव आयोग कई जिलों के अफसरों का तबादला कर देते थे लेकिन इस चुनाव में कुछ खास देखने को नहीं मिला।

चुनाव में गलत बयानबाजी की वजह से 48 घंटे तक प्रचार पर लगी पाबंदी के खत्म होते ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव आयोग को ही निशाने पर ले लिया, उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा बीजेपी नेताओं के प्रति चुनाव आयोग की अनदेखी व गलत मेहरबानी जारी रहेगी तो फिर इस चुनाव का स्वतंत्र व निष्पक्ष होना असंभव है।

यूं तो हर चुनाव से पहले विपक्षी दलों द्वारा ऐसे अफसरों की शिकायतें की जाती रही हैं जिन पर सत्तारूढ दल के प्रति निष्ठावान होने का संदेह होता है।

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चुनाव आयोग ऐसी शिकायतों का परीक्षण करने के बाद ऐसे अफसरों को चुनाव प्रक्रिया से दूर भी रखता है। खास बात यह है कि इस बार चुनाव आयोग के पास ऐसी कोई शिकायत भी नहीं पहुंची थी, हालांकि नामांकन शुरू होने के बाद इसका सिलसिला शुरू हो गया।

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