चीन को अमेरिका ने दिया तगड़ा झटका 45 दिन की दी मोहलत…

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए चीनी स्वामित्व वाले टिकटॉक और मैसेजिंग एप वीचैट के खिलाफ गुरुवार देर रात दो कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। यह आदेश 45 दिनों के अंदर लागू हो जाएगा। यह किसी भी अमेरिकी कंपनी या व्यक्ति को बाइटडांस, टिकटॉक की चीनी मूल कंपनी या वीचैट के साथ लेन-देन करने से रोकता है।

इसका मतलब है कि ये कंपनियां अमेरिका में एप्पल के एप स्टोर या गूगल के प्ले स्टोर पर दिखाई नहीं देंगी। इस आदेश के बाद से अमेरिका और बीजिंग के रिश्तों में पहले से जारी तल्खियां और बढ़ गई हैं। यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। इससे पहले ट्रंप ने अमेरिका में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी।
माइक्रोसॉफ्ट ने इस बात की पुष्टि की कि वह ट्रंप के साथ बातचीत के बाद टिकटॉक खरीदने को लेकर बातचीत कर रहा है। टिकटॉक के आदेश के अनुसार, ‘यह डाटा संग्रह, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को अमेरिकियों की व्यक्तिगत और मालिकाना जानकारी तक पहुंचने की अनुमति देता है। यह संभावित रूप से चीन के संघीय कर्मचारियों और ठेकेदारों को स्थान ट्रैक करने, ब्लैकमेल के लिए व्यक्तिगत जानकारी का डोजियर बनाने और कॉरपोरेट जासूसी का संचालन करने की अनुमति देता है।’

टिकटॉक के प्रवक्ता हिलेरी मैकक्यूइड ने कहा कि कंपनी आदेश को देख रही है और जल्द ही इसपर टिप्पणी करेगी। सोमवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा था कि टिकटॉक को 15 सितंबर तक यूएस के संचालन को रोकने के लिए बाध्य किया जाएगा, यदि इसे किसी अमेरिकी कंपनी को नहीं बेचा गया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बिक्री होती है, तो आय का हिस्सा अमेरिकी करदाताओं को जाना चाहिए।

ट्रंप ने संभावित टिकटॉक बिक्री की बात पर कहा, ‘उस कीमत का एक बहुत बड़ा हिस्सा संयुक्त राज्य के खजाने में आना चाहिए। अमेरिका में प्रतिपूर्ति या भुगतान किया जाना चाहिए क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका के बिना उनके पास कुछ भी नहीं है।’ राष्ट्रपति ने आगे कहा, ‘यह थोड़ा सा मकान मालिक-किराएदार की तरह है। पट्टे के बिना, किराएदार के पास कुछ भी नहीं है।’ माइक्रोसॉफ्ट टिकटॉक खरीदने को लेकर बातचीत कर रहा है और बातचीत को खत्म करने की समयसीमा 15 सितंबर तय की गई है।

भारत टिकटॉक और वीचैट पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश है। भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए यह प्रतिबंध लगाया था। भारत ने 106 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत के इस कदम का ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी सांसदों ने स्वागत किया था।

LIVE TV