18 साल की उम्र तक रोजना करें ये काम नहीं तो पड़ सकते हैं लेने के देने

चीनी वाले पकवानबच्चे चीनी के शौकीन होते हैं, लेकिन अतिरिक्त चीनी वाले पकवान और पेय सेहत के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं, जिससे दांतों में सड़न, मोटापा और पौष्टिकता में कमी हो सकती है। मीठे के ज्यादा सेवन से बच्चों की सेहत पर पड़ने वाले दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। इस बारे में आईएमए के मनोनीत अध्यक्ष पद्मश्री डॉ के.के. अग्रवाल ने कहा, “दो से 18 साल के बच्चों को दिन में प्रतिदिन छह चम्मच से कम चीनी खानी चाहिए और सप्ताह में आठ औंस से कम मीठे पेय पीने चाहिए।

टेबल शूगर, फ्रूक्टॉस और शहद, प्रोसेसिंग और पेय पदार्थ बनाने के लिए प्रयोग होने वाली चीनी और खाने के मेज पर चीजों में डाली जाने वाली चीनी अगल से खाई जाने वाली चीनी अतिरिक्त मीठा होती है। दो साल से छोटे बच्चों को यह अतिरिक्त चीनी बिल्कुल नहीं खानी चाहिए।”

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा 22 अगस्त को प्रकाशित दिशानिर्देश में यह पुष्टि की गई है।

ज्यादा मीठे वाले पकवान और पेय लगातार लेते रहने से हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और डायबिटीज हो सकते हैं। चीनी पकवानों और पेयों में आम तौर पर अतिरिक्त होती है।

अग्रवाल ने कहा कि अभिभावक इस पर ध्यान दें कि बच्चे के आहार से मीठा पूरी तरह खत्म नहीं करना है। उचित मात्रा में मीठे का सेवन संतुलित आहार के लिए जरूरी है। कुकीज और मीठी चीजों पर थोड़ा-थोड़ा करके लगाम लगाई जा सकती है। उनकी जगह पर फलों वाले मीठे पकवान दिए जा सकते हैं। मीठे वाले सीरियल की बजाय संपूर्ण अनाज वाले बिना मीठे वाले सीरियल दिए जा सकते हैं।

बच्चों के लिए खरीदते वक्त उत्पादों में शामिल तत्वों को देखें। अगर आप इनमें सबसे ऊपर के हिस्से में मीठा, हाई फ्रुकटोस कॉर्न सिरप आदि देखें तो इससे बेहतर विकल्प का चुनाव करें। खुद पकवान बनाएं और कम चीनी का प्रयोग करें। ध्यान रखें कि बच्चा दिन में दो बार ब्रश करे।

मीठे के सेहत पर नए प्रभाव :

अतिरिक्त चीनी में कोई पौष्टिकता नहीं होती बल्कि दांतों के लिए नुकसानदायक होता है।

इसमें अत्यधिक फ्रूकटॉस होता है जो लीवर पर भारी होता है।

फ्रूकटॉस से लीवर पर वजन डालने से नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर रोग होता है।

मीठे से इनसुलिन रेसिस्टेंस पैदा होती है, जिससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम और डायबिटीज होने का खतरा रहता है।

इनसुलिन रिसेस्टेंस से टाइप 2 शुगर हो सकती है।

इससे कैंसर हो सकता है।

हार्मोन पर और दिमाग पर प्रभाव से विलक्षण फैट जाम होने के प्रभाव पैदा होते हैं।

चूंकि इससे दिमाग में डोपामाइन पैदा होता है सो मीठे में लत लगने की क्षमता होती है।

बच्चों और वयस्कों में मोटापे का कारण चीनी ही बनती है।

फैट नहीं, बल्कि चीनी कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है और दिल के रोग पैदा करती है।

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