केजीएमयू में चिकित्सकों की हड़ताल से 7 मरीजों की मौत

चिकित्सकों की हड़ताललखनऊ| उत्तर प्रदेश में चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में सात मरीजों की जान चली गई। इमरजेंसी और ओपीडी सेवा देख रहे वरिष्ठ चिकित्सक बगैर रेजीडेंट के असहाय नजर आए। बेहद गंभीर मरीजों का ही वरिष्ठ चिकित्सकों ने इलाज किया। मरीजों को हड़ताल का हवाला देकर लौटाया जाता रहा है। करीब दो हजार मरीज लौटा दिए गए हैं और 20 से ज्यादा ऑपरेशनों को टाल दिय गया है। भर्ती मरीजों का भी बुरा हाल है। उनका इलाज सिर्फ नर्सो के भरोसे चल रहा है।

चिकित्सकों की हड़ताल

केजीएमयू प्रशासन ने इलाज न मिलने के कारण मरनेवालों मरीजों की संख्या सात बताई है। हालांकि अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक, मृतकों का आंकड़ा 15 से अधिक है।

उधर, रेजीडेंट चिकित्सकों के समर्थन के बाद चिकित्सा छात्र-छात्राओं ने गुरुवार को अपना धरना-प्रदर्शन समाप्त कर दिया।

पीजीएमईई में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के चिकित्सकों को 30 फीसदी अंकों की वरीयता देने को लेकर रेजीडेंट चिकित्सकों की हड़ताल के चलते केजीएमयू में इलाज की व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई है।

केजीएमयू प्रशासन ने हालांकि स्नातकोत्तर (पीजी) में प्रवेश को लेकर चल रही दिक्कतों से निपटने के लिए कार्य परिषद और शैक्षिक परिषद की आपात बैठक बुलाई, जिसमें तय किया गया कि केजीएमयू अपने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों एमडी व एमएस का सत्र एक महीने बाद शुरू करेगा। हालांकि इसकी तिथि तय नहीं की गई।

कुलपति प्रो़ रविकांत ने इसका आदेश भी जारी कर दिया। माना जा रहा है कि केजीएमूय प्रशासन 1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रहा है। इस सुनवाई में उसे उम्मीद है कि फ्रेशर छात्र-छात्राओं को वापस उनकी सीटें मिल जाएंगी।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने भी चिकित्सकों से अपील की थी कि मरीजों की परेशानी को देखते हुए चिकित्सक हड़ताल वापस ले लें। इस संदर्भ में उन्होंने मुख्मंत्री अखिलेश यादव को भी पत्र लिखा था।

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