चाणक्य नीति : सफल जीवन जीने की कला

आचार्य चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य जैसे बुद्धिमान, रणनीतिज्ञ, चरित्रवान व राष्ट्रहित के प्रति समर्पित भाव वाले व्यक्ति भारत के इतिहास में ढूंढने से भी बहुत कम मिलते हैं। इनकी नीतियों में उत्तम जीवन का निर्वाह करने के बहुत से रहस्य समाहित हैं, जो आज भी उतने ही कारगर सिद्ध होते हैं। जितने कल थे। इन नीतियों को अपने जीवन में अपनाने से जीवन में सफलता हासिल की जा सकता है। आइए जाने चाणक्य नीति की ऐसी बातें जो जीवन की राह को अनुभव का प्रकाश दिखाती हैं।

चाणक्य नीति : सफल जीवन जीने की कला

* बीते हुए समय को याद करके पछताना व्यर्थ है। बीते हुए समय में कोई गलती हो गई है तो उससे शिक्षा लेकर वर्तमान को उत्तम बनाने का प्रयास करना चाहिए। जिससे हमारा भविष्य संवर सके।

जो धन अत्यधिक कष्टों के बाद प्राप्त हो, जिसके लिए अपना धर्म त्यागना पड़े, दुश्मनों की खुशामद करनी पड़े या उनकी सत्ता के अधीन होना पड़े, ऐसे धन का कभी भी मोह नहीं करना चाहिए।

किसी भी कार्य को शुरु करने से पूर्व तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए- मैं यह कार्य क्यों करना चाहता हूं? जो कार्य करने जा रहा हूं उसका क्या परिणाम होगा? क्या इसमें मुझे सफलता मिलेगी?

सांप विषैला न भी हो तो वह फुफकारना नहीं छोड़ना। यदि वह स्वयं को विषहीन साबित कर देगा तो उसका जीवन संकट में पड़ सकता है। इसी प्रकार शक्तिहीन व्यक्ति को अपनी कमजोरी का प्रदर्शन करने से बचना चाहिए।

चाणक्य के अनुसार किसी पदार्थ की सुगंध के प्रसार के लिए हवा की आवश्यकता होती है, लेकिन व्यक्ति के गुण अौर योग्यता के लिए हवा की जरुरत नहीं होती। व्यक्ति के गुण सभी दिशाअों में स्वत ही फैल जाते हैं।

किसी के अधीन रहना कष्दायक है परंतु दूसरों के घर में रहना उससे भी अधिक पीड़ायुक्त है।

कमजोर व्यक्ति से दुश्मनी मोल लेना अधिक खतरनाक है। वह उस समय वार कर सकता है, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।

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