चाणक्य नीति

चाणक्य नीति के ग्यारहवें अध्याय के छठे श्लोक में बताया गया है कि सफलता में रुकावट का एक कारण दुष्ट लोग और उनकी आदत है। चाणक्य नीति ग्रंथ में बताई गई बातें जॉब और बिजनेस के अलावा जीवन के अन्य क्षैत्रों में भी काम आती हैं। चाणक्य अपने नीति ग्रंथ में कहते हैं कि कुछ दुष्ट लोग सज्जन लोगों को सफल नहीं होने देते हैं। ऐसे लोग अपनी आदतों की वजह से कामकाज में रुकावटें डालते हैं और कई बार सज्जन ऐसे लोगों को समझाने में अपना समय भी खराब कर देते हैं। इस वजह से सफलता नहीं मिल पाती है।
चाणक्य नीति
  • चाणक्य नीति का श्लोक
न दुर्जनः साधुदशामुपैति बहु प्रकारैरपि शिक्ष्यमाणः।
आमूलसिक्तं पयसा घृतेन न निम्बवृ़क्षोः मधुरत्वमेति।।6।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक में दुष्ट स्वभाव की चर्चा करते हुए चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट को सज्जन नहीं बनाया जा सकता। दूध और घी से नीम को जड़ से चोटी तक सींचे जाने पर भी नीम का वृक्ष मीठा नहीं बनता। आशय यह है कि दुष्ट को चाहे कितना ही सिखाओ-पढ़ाओ, उसे सज्जन नहीं बनाया जा सकता। क्योंकि नीम के पेड़ को चाहे जड़ से चोटी तक दूध और घी से सींच दो, तब भी उसमें मिठास नहीं आती। इसलिए दुष्ट लोगों को समझाने में अपना समय खराब नहीं करना चाहिए। चाणक्य नीति के अनुसार दुष्ट लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए।
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