चाणक्य नीति

चाणक्य नीति में 12 वें अध्याय के तीसरे श्लोक में सफल इंसान से जुड़ी खास बातें बताई गई हैं। ऐसा कह सकते हैं कि चाणक्य नीति के इस श्लोक में ऐसी लाइफ स्टाइल बताई गई है जिसको अपनाकर आप भी सफल इंसान बन सकते हैं। चाणक्य नीति के इस श्लोक में कुछ अच्छी आदतें और काम करने के खास तरीके बताए गए हैं जिसको अपनाकर कोई भी इंसान सफल हो सकता है। चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।
चाणक्य नीति
चाणक्य नीति का श्लोक
दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने।
प्रीतिः साधुजने स्मय खलजने विद्वज्जने चार्जवम्।
शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारीजने धूर्तताः
इत्थं ये पुरुषा कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः।।3।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक में आचार्य चाणक्य उन भले लोगों की बात करते हुए कहते हैं कि जो अपने लोगों से प्रेम, परायों पर दया, दुष्टों के साथ सख्ती, सज्जनों से सरलता, मूर्खों से परहेज, विद्वानों का आदर, शत्रुओं के साथ बहादुरी और गुरुजनों का सम्मान करते हैं, जिन्हें स्त्रियों से लगाव नहीं होता, ऐसे लोग हर जगह सफल होते हैं यानी महापुरुष कहे जाते हैं। ऐसे ही लोगों के कारण दुनिया टिकी हुई है।

आचार्य चाणक्य का कहना है कि जो व्यवहार कुशल लोग अपने भाई-बन्धुओं से प्रेम करते हैं, अन्य लोगों पर दया करते हैं, दुष्टों के साथ दुष्टता का कठोर व्यवहार करते हैं, साधुओं, विद्वानों, माता-पिता तथा गुरु का आदर करते हैं, मूर्ख लोगों से दूर ही रहते हैं, शत्रु का बहादुरी से सामना करते हैं और स्त्रियों के पीछे नहीं भागते। ऐसे लोग हर समय और परिस्थिति के अनुसार आगे बढ़ते हैं। इसलिए हमेशा सफल होते हैं।

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