गोवा के संस्कृति मंत्री भूले मर्यादा, महिलाओं पर दिया विवादित बयान

गोवा के संस्कृति मंत्रीपणजी| गोवा के संस्कृति मंत्री दयानंद मंडरेकर के महिलाओं पर दिए गए बयान के बाद नया विवाद शुरू हो गया है। दयानंद ने बुधवार को महिलाओं पर अपनी टिप्पणी में कहा था कि महिलाएं टेलीविजन धारावाहिकों में इतना डूब गई हैं कि वे काम से थक कर वापस आए अपने पति के लिए चाय बनाना और उनके बारे में पूछना तक भूल जाती हैं।

इस पर कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि उनकी टिप्पणी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की खासकर महिलाओं को लेकर ‘खाप मानसिकता’ को दर्शाती है।

गोवा के संस्कृति मंत्री का विवादित बयान

पणजी में कला एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित ने एक कार्यक्रम में दयानंद ने कहा था, “महिलाएं धारावाहिकों को देखने में इतनी रुचि रखती है कि शाम को जब वे धारावाहिक देखने बैठ जाती हैं तो वे दिन भर काम करने के बाद थक कर आए घर अपने पति की तरफ भी ध्यान नहीं देती हैं।”

उन्होंने कहा, “आज वह टीवी में इतनी डूब गई हैं कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उनके पति घर आ गए हैं और उन्हें कपड़े बदलने हैं। यहां तक कि उनके दिमाग में यह भी नहीं आता कि वे अपने पति से पूछे कि उन्हें एक कप चाय पीनी है या नहीं।”

मंत्री ने कहा, “अब हम एक व्यावसायिक रास्ते पर बढ़ रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप नाटकों को अधितकतर देखते रहने के कारण लोगों के तरीकों में बदलाव आ गया है। इसके बहुत सारे कारण हैं। घर में टीवी है और उस पर हर दिन बहुत अच्छे कार्यक्रम भी आते हैं।”

उन्होंने इन धारावाहिकों से ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभावों का भी उल्लेख किया और कहा, “इन धारावाहिकों की वजह से गांव वाले अच्छे कार्यक्रमों में रुचि नहीं लेते हैं।”

उन्होंने कहा कि लोगों में टीवी धारावाहिकों को देखने का उत्साह ऐसा है कि वे यहां तक कि गांव में धार्मिक उत्सवों की भी परवाह नहीं करते।

उन्होंने कहा, “उन्हें लगता है कि अगर धारावाहिक की एक भी कड़ी छूट जाएगी तो उसमें होने वाले कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम से वे वंचित रह जाएंगे।”

दयानंद की टिप्पणी पर कांग्रेस प्रवक्ता सुनील कावथंकर ने कहा, “यह और कुछ नहीं, बल्कि केवल उनके नेताओं की असली अंतर्निहित खाप मानसिकता है। महिलाओं को नीचा दिखाना उनके लिए नया नहीं है। जबकि पार्टी दावा करती है कि उनका ²ष्टिकोण आधुनिक है, लेकिन दयानंद की महिलाओं के खिलाफ उनकी मानसिकता की दुखद वास्तविकता को दर्शाती है।”

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