गोरखपुर में बीजेपी फंसी अपने ही चक्रव्यूह में!

रिपोर्ट – पंकज श्रीवास्तव

गोरखपुर: साल 2019 का लोकसभा चुनाव रोचक मोड़ पर आ गया है| सीटों पर उम्मीदवार के जोड़-तोड़ में बीजेपी जैसी दिग्गज पार्टी भी असमंजस में दिख रही है|

यही वजह है कि गोरखपुर सीट पर उम्मीदवार की घोषणा को लेकर बीजेपी अपनी ही बिछाई बिसात के चक्रव्यूह में उलझ कर रह गई है| अब गोरखपुर सीट पर उम्मीदवार को लेकर पेंच ही पेंच दिखाई दे रहा है|

लोकसभा चुनाव में यूपी की अहम सीटों में गोरखपुर सदर सीट भी मानी जा रही है| इसी सीट पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार सांसद रहे हैं| उसके पहले उनके गुरु महंत अवेद्यनाथ इसी सीट पर तीन बार सांसद रहे| यानी लगातार आठ बार इस सीट पर गोरक्षपीठ का कब्जा रहा है|

ऐसे में इस सीट के महत्व का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है| लेकिन, सांसद योगी आदित्यनाथ के साल 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनते ही ये सीट खाली हो गई और साल 2018 में हुए उप-चुनाव में बीजेपी को गोरखपुर लोकसभा सीट से हाथ धोना पड़ा|

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उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ल को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी प्रवीण निषाद के हाथों हार का सामना करना पड़ा| प्रवीण निषाद ने साढ़े बाइस हजार वोटों के साथ जीत हासिल कर बड़ा उलटफेर कर दिया औरबीजेपी खेमे में निराशा फैल गई|

क्योंकि बीजेपी के शीर्ष नेताओं को इस बात का पूरा विश्वास था कि योगी आदित्यनाथ की सीट होने के कारण यह सीट पूरी तरह से सुरक्षित है| लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और जरूरत से ज्यादा विश्वास में यह सीट मंदिर के हाथ से निकल गई|यही वजह है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व में कई बड़े दिग्गज नेताओं की माथे पर चिंता की लकीर आ गई जिसके बाद आज तक मंथन जारी है|

लोक सभा चुनाव की घोषणा होते ही शीर्ष नेतृत्व में गोरखपुर सीट को लेकर मंथन होने लगा| लेकिन, निषाद वोट बैंक की काट खोज पाना मुश्किल लग रहा था हालांकि बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष उपचुनाव में हार चुके प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ल और बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह के नाम पर चर्चा होती रही| लेकिन, शीर्ष नेतृत्व को बात जमी नहीं|

इसके बाद सपा नेता अमरेंद्र निषाद और उनकी मां पूर्व विधायक राजमती निषाद को बीजेपी में शामिल कर लिया गया तो उम्मीद की जाने लगी कि प्रवीण निषाद के खिलाफ अमरेंद्र निषाद को बीजेपी टिकट दे सकती है| लेकिनअमरेंद्र का बड़ा नाम नहीं होने की वजह से इस नाम पर भी मुहर नहीं लग पाई थी कि निषाद वोट बैंक को समेटने के लिए प्रवीण निषाद को ही उनके काट के रूप में इस्तेमाल करने के लिए जोड़-तोड़ होने लगा|

नतीजा सकारात्मक निकला और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गोरखपुर के सपा सांसद प्रवीण निषाद के पिता डा. संजय निषाद ने गठबंधन से नाता तोड़ लिया और बीजेपी गठबंधन में शामिल हो गए जबकि प्रवीण निषाद ने बीजेपी की सदस्य्ता ले ली और यहीं से यह माना जाने लगा कि प्रवीण निषाद को टिकट देकर बीजेपी चुनावी रण को जीतना चाहती है|

लेकिन आज भी फैसला नही हो सका अब ऐसे में सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए अमरेन्द्र निषाद को अब भी भरोसा है कि टिकट उन्ही को मिलेगा और वो अपनी मां के साथ मंदिर में योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंच गए।

सूत्रों की मानें तो पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओ को छोड़ ,नए आये लोगो पर दांव लगाने की सुगबुगाहट पर स्थानीय नेताओं और वरिष्ठ पदाधिकारियों की नाराजगी के कारण शीर्ष नेतृत्व को बैकफुट पर आना पड़ा|

ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि अब गोरखपुर से बीजेपी किसे अपना उम्मीदवार बनाती है| जिससे न तो स्थानीय पदाधिकारी और पुराने नेता नाराज हो और इस सीट पर उप-चुनाव की तरह फिर से हार का सामना न करना पड़े|

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