गोरखपुर के प्रापर्टी डीलर की लखनऊ में गोली मारकर हत्‍या, पैसे के लेन देन में हुई घटना

लखनऊ के पीजीआइ इलाके में बुधवार को लेनदेन के विवाद मारा गया दुर्गेश यादव, उरुवा थाने का हिस्ट्रीशीटर बदमाश था। इसी साल बीते अगस्त माह में उरुवा पुलिस ने उसकी हिस्ट्रीशीट खोली थी। उरुवा और गोला थाने में दुर्गेश के विरुद्ध लूट, डकैती और रंगदारी मांगने सहित आधा दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। गोला पुलिस ने पिछले साल उसे गैंगस्टर के मुकदमे में जेल भेजा था।

मूल रूप सो उरुवा क्षेत्र के मठभताड़ी गांव निवासी उमाकांत यादव का पुत्र दुर्गेश, गोरखपुर में रामगढ़ ताल थाना क्षेत्र के रामपुर गांव में घर बनवाकर रहता था। पढ़ाई के समय से ही दबंगई दिखाना उसकी आदत में शामिल था। हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई उसने उरुवा स्थित रामरेखा सिंह इंटर कालेज से की थी। गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीए करने के दौरान छात्रसंघ का वह चुनाव भी लड़ा था। करीब चार साल पहले लखनऊ जाकर जमीन के कारोबार से जुड़ गया। दुर्गेश की तीन बहनें हैं। दो की शादी हो चुकी है। सबसे छोटी बहन की शादी की तैयारी चल रही है। दुर्गेश की शादी छह साल पहले तिवारीपुर इलाके के जगतबेला में हुई थी। उसकी पांच वर्ष की एक बेटी और तीन वर्ष का एक बेटा है।

बालू घाट के ठेकेदार से मांगी थी 10 लाख की रंगदारी

दुर्गेश के विरुद्ध पहली बार 2014 में लूट का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसी साल उरुवा इलाके में ही दोस्तों के साथ मिलकर एक व्यक्ति को गोली मारकर उसने लूट की थी। इस मामले में डकैती का अभियोग पंजीकृत हुआ था। गोला इलाके के रामपुर बघौरा निवासी पीयूष कांत कौशिक ने बालू घाट का ठेका ले रखा था। 27 नवंबर 2018 को दुर्गेश बालू घाट पर पहुंचकर पीयूष से 10 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी। इस मामले में उसके अलावा 10 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में गिरफ्तारी न हो पाने पर पुलिस ने उस पर 15 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था। 2018 में ही पुलिस टीम पर गोली चलाने के आरोप में उस पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ था। एक अपै्रल 2019 को गोला पुलिस ने गैंगस्टर अधिनियम के तहत उसे जेल भेजा था।

जिला पंचायत का चुनाव लड़ चुका है दुर्गेश

अपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने के साथ ही दुर्गेश इलाके की राजनीतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहने लगा था। पिछले पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य के लिए वह चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा था। 

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