वाजपेयी सरकार में पीएम मोदी ने किया था देश को शर्मसार, की थी तख्तापलट की कोशिश!

गुजरात दंगेनई दिल्ली। गुजरात दंगे ऐसे समय हुए थे जब केंद्र के साथ साथ प्रदेश में भी भाजपा की सरकार थी ऐसे में कहीं न कहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी विपक्षी पार्टियों और लोगों के निशाने पर थे। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से बाजपेयी को देश और विदेश दोनों जगह शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी और लोगों ने उनके फैसले पर सवाल खड़े किये थे।

गुजरात दंगे

एनपी द्वारा लिखी किताब The Untold Vajpayee के रेडिफ डॉट कॉम में प्रकाशित लेख में बताया गया है कि कैसे 2002 में गुजरात दंगों के बाद मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को भी आंख दिखाने की कोशिश की थी। इस लेख के अनुसार दंगे के बाद मोदी ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान वाजपेयी का मुंह बंद कराने की कोशिश की थी। एक रिपोर्टर गुजरात दंगो पर मुख्‍यमंत्री के लिए वाजयेपी का संदेश जानना चाहता था। इस पर वाजपेयी का जवाब था कि मोदी को ‘अपने राजधर्म का पालन’ करना चाहिए।

वाजपेयी मंच से मोदी के बारे में कुछ तीखा बोलते इससे पहले ही उन्हे रोकने के लिए मोदी उनकी तरफ मुड़े और धमकाने वाले अंदाज में नजरें मिलाने की कोशिश की। मोदी ने वाजपेयी को कठोर शब्दों में उत्तर देते हुए कहा कि हम भी वही कर रहे हैं, साहिब। वाजपेयी ने मौके की नजाकत समझकर मोदी का साथ देते नजर आये।

वाजपेयी इस दंगे को लेकर अपने सिंगापुर दौरे के समय भी खासे चिंतित थे इस पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने उन्हे आडवाणी से सलाह लेने को कहा था। सिंगापुर दौरे के आखिरी दिन एक पत्रकार ने वाजपेयी से सिंगापुर में धार्मिक हिंसा का जिक्र करते हुए सवाल पूछा कि भारत में लगातार हिंसा भड़कने से सिंगापुर भारत के अनुभव से क्‍या सीख सकता है? इस सवाल से पसीना पसीना हुए वाजपेयी ने धीमी आवाज में कहा कि दंगे रोके जा चुके हैं। साथ ही यह भी कहा कि साबरमती एक्‍सप्रेस के यात्रियों को गोधरा स्टेशन पर यदि जिंदा नहीं जलाया गया होता। तो गुजरात इतने बड़े दंगे का शिकार न होता।

उसी समय राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी ने मंच से ऐलान किया कि वह दंगों की वजह से मुख्‍यमंत्री पद छोड़ना चाहते हैं। जिस पर कई नेताओं ने मोदी का समर्थन किरते हुए कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है। हांलाकि इस बात को लेकर शौरी निश्चित नहीं थे कि यह सोची-समझी रणनीति थी या नहीं। लेकिन शौरी के मुताबिक वाजपेयी को यह तख्‍तापलट की साजिश लगी थी। लेकिन वहां मौजूद लोगों मोदी के समर्थन में ही नारे लगाते रहे। वाजपेयी ने मौके की नजाकत को समझते हुए कहा कि इस पर बाद में फैसला लेंगे। लेकिन किसी ने आवाज उठाई कि इसका फैसला तो अभी करना होगा। इस पर वाजपेयी को यह बात भलीभांति समझ आगयी थी कि युवा नेता उनके फैसलों पर सवाल खड़े कर रहे थे।

 

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