गर्भावस्था में पेट दर्द को न करें इग्नोर, हो सकती हैं ये गंभीर समस्याएं
यूं तो प्रेग्नेंसी में पेट में दर्द होना बहुत ही नॉर्मल बात है और ज्यादातर महिलाएं को ऐसा महसूस होता हैं। लेकिन अगर दर्द लगातार हो रहा है तो परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए प्रेग्नेंसी में किस तरह का पेट दर्द नॉर्मल माना जा सकता है और किस तरह का नहीं, इसे समझना जरूरी है। उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान के वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर अमरसिंह चूंडावत के अनुसार, यूट्रस के बढ़ने के साथ चूंकि मां के अंग शिफ्ट हो जाते हैं और साथ ही लिगामेंट एक साथ फैल रहे होते हैं, ऐसे में पेट दर्द स्वाभाविक भी है। लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि पेट दर्द को कब गंभीरता से लिया जाए।
डॉक्टर चूंडावत कहते हैं कि ”पेट दर्द को तब गंभीर माना जा सकता है, जब पेट दर्द के साथ उल्टी, बुखार, ठंड लगना और वेजाइना से असामान्य ब्लीडिंग होने लगे। साथ ही राउंड लिगामेंट दर्द अधिकतम कुछ मिनट के लिए ही होता है ऐसे में अगर पेट में दर्द लगातार है तो समस्या गंभीर हो सकती है। इसके अलावा अगर पेटदर्द से चलना बोलना या सांस लेना भी मुश्किल हो जाए तो इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।” आइए जानें इस तरह के पेट में दर्द से कौन सी समस्याएं हो सकती हैं।
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मिसकैरेज
हेल्थ मैनेजमेंट इंफॉर्मेंशन सिस्टम के अनुसार समूचे भारत में स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार, अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक 5.55 लाख मिसकैरेज दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 4.7 लाख सरकारी अस्पतालों में हुए थे। मिसकैरेज के मामलों में पेट दर्द की महत्वपूर्ण भूमिका है। हर 5-20 मिनट में संकुचन, पीठ दर्द, ऐंठन के साथ या बिना ब्लीडिंग, ब्लीडिंग या वेजाइना में हल्की या तेज ऐंठन, प्रेग्नेंसी के अन्य लक्षणों में अप्रत्याशित रूप से कमी आदि मिसकैरेज के प्रमुख लक्षण है।
प्रीक्लेम्पसिया
20 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के बाद महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से भी ग्रस्त हो सकती हैं। कभी-कभी महिलाओं के यूरिन में प्रोटीन भी आने लगता है। यह बच्चे के विकास को धीमा कर देता है क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर यूट्रस में ब्लड वेसल्स के कसने का कारण बन सकता है। सिरदर्द, मतली, सूजन, पेटदर्द और नजर के धुंधले होने जैसे इसके कई लक्षण हैं।
समय से पहले जन्म
समय से पहले जन्म 24 से 37वें सप्ताह में होता है। बॉर्न टू सून : वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की ओर से प्रीटर्म बर्थ पर ग्लोबल एक्शन रिपोर्ट अन्य रिपोटर के साथ मिलकर कहती है कि भारत में कुल 3,519,100 लोगों का जन्म समयपूर्व होता है, यह कुल जन्म का लगभग 24 प्रतिशत है। जैसा कि डेटा इंगित करता है भारत दुनिया की समयपूर्व डिलीवरी में 60 प्रतिशत योगदान देने वाले 10 देशों की सूची में सबसे ऊपर है। डॉक्टरों और महिलारोग विशेषज्ञ प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रेग्नेंसी की अवधि के दौरान नियमित चिकित्सा जांच के लिए जाने का सुझाव देते हैं।
अपेंडिसाइटिस
प्रेग्नेंसी के दौरान अपेंडिक्स के इंफेक्शन से प्रेग्नेंसी में सर्जरी की स्थितियां बन जाती हैं। यह बॉडी में होने वाले फिजिकल परिवर्तनों के कारण होता है। डॉक्टरों के अनुसार, पहली और दूसरी तिमाही में निदान करना आसान है। निचले हिस्से में दर्द, उल्टी और भूख की कमी जैसे लक्षण हैं।
यूरिन मार्ग का इंफेक्शन
बैक्टीरिया इंफेक्शन से यूरिन मार्ग का इंफेक्शन हो सकता हैं। यह यूरिन मार्ग को प्रभावित कर सकता है। यूटीआई यूरिन मार्ग, ब्लैडर और यहां तक कि किडनी को इंफेक्शन की ओर ले जाता है। इस स्थिति के साथ आने वाले लक्षणों में जननांग क्षेत्र में जलन, यूरिन करने की इच्छा, यूरिन के दौरान जलन और पीठ में दर्द शामिल हो सकते हैं। अध्ययनों के अनुसार, क्रैनबेरी को रेगुलर लेने से यूटीआई को रोका जा सकता है।
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गॉल ब्लैडर स्टोन
अतिरिक्त एस्ट्रोजन के कारण प्रेग्नेंसी के दौरान गॉल ब्लैडर स्टोन एक आम समस्या है। गॉल ब्लैडर स्टोन का कारण बनने वाले लक्षणों में अधिक वजन, 35 वर्ष से अधिक आयु और परिवार में स्टोन का चिकित्सा इतिहास जैसे लक्षण शामिल है।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी
महिलाओं को पेट में गंभीर दर्द की शिकायत तब भी होती है, जब अंडा, यूट्रस के अलावा किसी अन्य स्थान पर प्रत्यारोपित हो जाता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में प्रेग्नेंसी के 6-10वें वीक के बीच दर्द और ब्लीडिंग होता है। गर्भाधान के समय अगर एंडोमेट्रियोसिस, ट्यूबल लाइगैशन और कंसीव के दौरान इन्ट्रायूटरिन डिवाइस का इस्तेमाल हो तो महिलाएं अधिक जोखिम में होती हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां
- दर्द होने पर तत्काल आराम करें।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होने पर गर्म पानी से स्नान करें।
- पीड़ा को कम करने के लिए गर्म वॉटर-बॉटल से सेंकाई करें।
- पेट के वायरस और भोजन की विषाक्तता के लिहाज से विशेष सावधानी बरतें।
- सुपाच्य भोजन बेहतर विकल्प है।
- अगर प्रेग्नेंसी के दौरान आपको भी लगातार पेट में दर्द महसूस होता है तो इसे नजरअंदाज ना करें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।