राजपथ नहीं इस जगह पर हुई थी पहली गणतंत्र दिवस परेड

गणतंत्र दिवस की परेडनई दिल्ली: आप सभी ने गणतंत्र दिवस की परेड का आनंद लिया होगा. पर क्या आपको पता है कि देश की राजधानी में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड कहां हुई थी.? अगर आपका जवाब राजपथ है तो आपका ये जवाब ग़लत होगा. क्योंकि राजपथ पर साल 1955 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड शुरू की गई थी.

गणतंत्र दिवस की परेड की शुरुआत इर्विन स्टेडियम से हुई

आपको बता दें कि दिल्ली में 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड, राजपथ पर न होकर इर्विन स्टेडियम (आज का नेशनल स्टेडियम) में हुई थी. और पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे. इर्विन स्टेडियम के चारों तरफ घेरा न होने की वजह से उसके पीछे पुराना किला साफ दिखाई देता था. 1950-1954 तक गणतंत्र दिवस का समारोह, कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे कैंप, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में आयोजित हुआ करता था.

1955 के बाद ये सिलसिला राजपथ पर शुरू हुआ जो आज तक चला आ रहा है. इतना ही नहीं, इस दिन पहली बार राष्ट्रीय अवकाश घोषित हुआ. आठ किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह परेड रायसीना हिल से शुरू होकर राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला पर ख़त्म होती है.

“सैनिक समाचार” पत्रिका के पुराने अंकों के अनुसार, 1951 के गणतंत्र दिवस समारोह में चार वीरों को पहली बार उनके अदम्य साहस के लिए सर्वोच्च अलंकरण परमवीर चक्र दिए गए थे.

साल 1952 से बीटिंग रिट्रीट का कार्यक्रम शुरू हुआ. इसका एक समारोह रीगल सिनेमा के सामने मैदान में और दूसरा लालकिले में हुआ था. सेना बैंड ने पहली बार महात्मा गांधी के मनपसंद गीत ‘अबाइड विद मी’ की धुन बजाई और तभी से हर साल यही धुन बजती है.

1953 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में लोक नृत्य और आतिशबाजी को शामिल किया गया. साल 1955 में दिल्ली के लाल किले के दीवान-ए-आम में गणतंत्र दिवस पर मुशायरे की परंपरा शुरू हुई. साल 1956 में पहली बार पांच सजे-धजे हाथी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए थे.

गणतंत्र दिवस की परेड..

राजधानी की सरकारी इमारतों पर बिजली से रोशनी करने की शुरूआत 1958 से हुई. साल 1959 में पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह में दर्शकों पर वायुसेना के हेलीकॉप्टरों से फूल बरसाए गए.

साल 1960 में परेड में पहली बार बहादुर बच्चों को हाथी के हौदे पर बैठाकर लाया गया जबकि बहादुर बच्चों को सम्मानित करने की शुरुआत हो चुकी थी.

उस साल, राजधानी में लगभग 20 लाख लोगों ने गणतंत्र दिवस समारोह देखा, जिसमें से पांच लाख लोग राजपथ पर ही जमा हुए थे.

गणतंत्र दिवस परेड और बीटींग रिट्रीट समारोह देखने के लिए टिकटों की बिक्री साल 1962 में शुरू हुई.

उस साल तक गणतंत्र दिवस परेड की लंबाई छह मील हो गई थी यानी जब परेड की पहली टुकड़ी लाल किला पहुंच गई तब आखिरी टुकड़ी इंडिया गेट पर ही थी. उसी साल भारत पर चीनी हमले से अगले साल परेड का आकार छोटा कर दिया गया.

साल 1973 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में पहली बार इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति पर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. तब से यह परंपरा आज तक जारी है.

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