पीडीपी-भाजपा गठबंधन में बढ़ा तनाव, इन कारणों से हुआ मतभेद

गठबंधन सरकारश्रीनगर। विचारधारा के स्तर पर विरोधी के सहयोग से गठबंधन सरकार चलाना एक कला है और इसे सफलतापूर्वक चलाना जादू है। आज के जो हालात हैं, उनमें ऐसा लग रहा है कि जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जादूगर नहीं हैं।

जम्मू एवं कश्मीर विधानमंडल के दोनों सदनों का अभूतपूर्व हंगामे के बीच निर्धारित समय से छह दिन पूर्व ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होना भले ही विपक्ष के हंगामे का नतीजा लगे, लेकिन इसकी मूल वजह महबूबा की कश्मीर केंद्रित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और इसकी सहयोगी जम्मू केंद्रित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच के विचारधारात्मक मतभेद हैं।

अच्छे से तैयार किए गए एक बयान में महबूबा ने विधानसभा में कहा कि संविधान की धारा 370 और 35 को निशाना बनाना ‘कश्मीरियत’ के नाम से मशहूर राज्य की धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी संस्कृति की जड़ों को काटने के समान है। इसीलिए धारा 370 पर कोई भी हमला ‘राष्ट्र विरोधी’ है।

ताज्जुब है कि भाजपा के खेमे से किसी ने इसका विरोध नहीं किया।

यह बयान सोमवार को दिया गया। मंगलवार को जब विधानसभा की कार्यवाही हुई तब निर्दलीय विधायक पवन गुप्ता ने विधानसभा अध्यक्ष कविंद्र गुप्ता से सदन की कार्यवाही से ‘राष्ट्र विरोधी’ शब्द को निकालने का आग्रह किया।

अब भाजपा सदस्यों ने इस मांग का समर्थन किया। गुप्ता ने कहा कि वह पहले कार्यवाही का रिकार्ड देखेंगे।

विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान को निकालने की मांग उनकी ही गठबंधन सहयोगी (भाजपा) द्वारा करना उनमें अविश्वास जताने के समान है और मुख्यमंत्री को इस पर सदन में सफाई देनी चाहिए।

सदन को स्थगित कर दिया गया। बुधवार को कार्यवाही शुरू होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने रिकार्ड देखा है और मुख्यमंत्री के भाषण में ऐसा कुछ भी नहीं पाया है जिसे निकालने की जरूरत है।

इसके बाद ऐसा हंगामा हुआ, जैसा राज्य विधानसभा में कभी देखा नहीं गया। माइक उखाड़ लिए गए, एक-दूसरे पर कुर्सियां फेंकी गईं, वरिष्ठ नेताओं तक के साथ मारपीट की नौबत आई। दो मार्शल घायल हो गए। कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए रोक दी गई।

महबूबा ने मंगलवार और बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया। पीडीपी ने कहा कि अध्यक्ष के स्पष्टीकरण के बाद मुख्यमंत्री को कोई बयान देने की जरूरत नहीं है।

अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस टिप्पणी पर बहस के दौरान महबूबा ने यह साफ कर दिया कि वह अपने बयान के हर शब्द पर कायम हैं।

भाजपा के साथ पीडीपी के गठबंधन के समय महबूबा के पिता दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा था कि यह ‘उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव का मिलन है।’ उन्होंने कहा था कि यह गठबंधन राज्य के हर हिस्से के विकास के लिए किया गया है।

इसीलिए भाजपा, जो धारा 370 का खात्मा चाहती है और पीडीपी जो स्वशासन चाहती है, दोनों ने अपने मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

महबूबा के लिए इस गठबंधन को बनाए रखना आसान नहीं है। उनके पास वह अनुभव और धैर्य नहीं है जो उनके पिता में था और जिसकी जरूरत ‘उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव’ जैसे दो एक-दूसरे से विचारधारात्मक रूप से उलट नेतृत्व को होती है। साफ है कि सरकार को बचाए और चलाए रखने के लिए महबूबा को राजनीति की कला नहीं बल्कि उस ‘जादू’ की जरूरत है जिसके बारे में उनके पिता को लगता था कि वह भाजपा के साथ सहयोग के बाद हासिल कर लेंगे।

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