खुला उत्पीड़न का एक और घिनौना खेल, मना किया तो 5 साल की बच्चियों को भी नहीं बख्शते

नई दिल्ली। एक ओर सरकार क्राइम रोकने के लिए नए-नए कानून बना रही है तो दूसरी तरफ दिल्ली में एक शेल्टर होम का मामला सामने आया, जहां की हकीकत ना केवल होश उड़ा देगी, बल्कि उसे जानने के बाद किसी की भी रूह कांप जाएंगी।

द्वारका स्थित इस शेल्टर होम में मासूम बच्चियों के साथ हैवानियत का ऐसा घिनौना खेल खेला जाता था, जो बेहद ही असहनीय और दर्दनाक है। इस बात का खुलासा दिल्ली महिला आयोग द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की जांच के दौरान हुआ।

खबरों के मुताबिक़ जब जांच तीन इस शेल्टर होम में दाखिल हुई तो यहां मौजूद लड़कियों से बातचीत में सारी असलियत उनके सामने आ गई।

जांच के दौरान लड़कियों ने आरोप लगाया कि शेल्टर होम में महिला स्टाफ सजा देने के लिए उनके प्राइवेट पार्ट्स में मिर्च पाउडर डाल देती थी।

बता दें दिल्ली सरकार की सलाह पर महिला आयोग ने सरकारी और निजी शेल्टर होम की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की थी। इस समिति ने शेल्टर होम में रहने वाली अलग-अलग 6 से 15 साल की उम्र की 22 बच्चियों से बात की और उनके अनुभव जाने।

विशेषज्ञ समिति ने हकीकत जानने के बाद इस बात को दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) प्रमुख स्वाती मालीवाल के साथ भी शेयर किया, जिसके बाद मालिवाल ने द्वारका के डिप्टी कमिश्नर को फोन किया और खुद शेल्टर होम पहुंच गईं। पुलिस की एक टीम ने इसके बाद बच्चियों के बयान लिए।

इस मामले में आयोग की पहल पर पुलिस ने शेल्टर होम के स्टाफ के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और जेजे एक्ट में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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इसमें सामने आया कि शेल्टर होम में पर्याप्त स्टाफ न होने के चलते बच्चियों से ही घरेलू काम, साफ-सफाई, बर्तन धुलवाने, कमरे और टॉयलेट साफ करवाने तक का काम कराया जाता था।

लड़कियों को अपना कमरा साफ न करने और स्टाफ की बात न सुनने के लिए मारा-पीटा जाता था। उन्हें गर्मियों और सर्दियों की छुट्टी में घर भी जाने नहीं दिया जाता था।

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