लक्ष्मण उतेकर ने श्रीदेवी की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास यादों को किया शेयर

श्रीदेवी के साथ में काम करके अच्छा लगा। मैं ऐसी कोई बात नहीं कह रहा, जो आप पहली बार सुन रहे हैं। लेकिन क्या करूं, श्रीदेवी शख्स ही ऐसी थीं। ‘इंग्लिश विंग्लिश’ की जब स्क्रिप्ट मेरे पास आई थी तो उसका एक लाइन में वर्णन ये था कि एक गृहिणी है जिसे इंग्लिश बोलना सीखना है जिसके लिए वो न्यूयॉर्क जाती है। इतनी ही थी ये फिल्म। लेकिन जब आप फिल्म देखते हैं तो बहुत कुछ याद रख लेते हैं।

लक्ष्मण उतेकर
लक्ष्मण उटेकर, जो श्रीदेवी की कम बैक फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’ के सिनेमेटोग्राफर रहे चुके हैं, वे अपनी यादों में बसीं श्रीदेवी की कुछ खास यादे साझा कर रहे हैं।

लक्ष्मण कार्तिक आर्यन और कृति सेनन की फिल्म ‘लुका-छुपी’ से हिन्दी फिल्मों में पहली बार निर्देशन की कमान संभाल रहे हैं। लक्ष्मण आगे बताते हैं कि श्रीदेवी के साथ काम करने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वे समय की बहुत पाबंद थीं।

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उनकी एक्टिंग में बहुत सहजता थी। वे आंखों से एक्टिंग करती थीं व बहुत ही प्रोफेशनल थीं, साथ ही बड़ी अच्छी इंसान भी थीं। मैं शूट के बाद भी उनसे मिलता था। बोनीजी के साथ मैं उनकी अगली फिल्म भी कर रहा हूं सिनेमेटोग्राफर के तौर पर ही यानी हमारे संबंध अच्छे रहे हैं। जब भी मैं उनसे घर मिलने पहुंचता था, वे बड़ी गर्मजोशी से मिलती थीं। लगता था कि वे सालों से मुझे जानती हों।

लक्ष्मण उतेकर

कितना समझ पाए उन्हें शूटिंग के दौरान?

मैं बिलकुल नहीं कह सकता कि मैं उन्हें समझा हूं। कुछ लोगों को समझा नहीं जा सकता। वैसे भी उनके साथ 40-45 दिन की शूट में समझ पाना मुश्किल था। वे 4 साल की थीं तब से फिल्में कर रही हैं। कितनी लेयर्स होंगी उनके पर्सनॉलिटी में?

कोई खास दिन या सीन याद है?

आपने अगर ‘इंग्लिश विंग्लिश’ देखी हो तो आपको वो सीन याद होगा, जहां श्रीदेवी का इंग्लिश न जानने की वजह से अपमान होता है। तब मैंने पूछा था कि आप किस तरह से मूवमेंट लेंगी, क्योंकि वो सीन मैं कैमरा अपने हाथ में लेकर शूट करने वाला था।

उन्होंने कहां ऐसे आऊंगी और ऐसे मुड़ जाऊंगी। लेकिन जैसे ही गौरी ने एक्शन कहा, वे कैरेक्टर की तरह अपमान से जैसे डरकर रोने और भागने लगीं और कभी बेंच पर बैठ गईं। मैं उन्हें सामने से शूट कर रहा था तो मुझे उनके आगे होकर भागना था, तो समझिए मेरी क्या हालत हुई होगी। वे कैमरा शुरू होने के बाद बहुत अलग शख्स हो जाती थीं।

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आपने मराठी फिल्म में निर्देशन भी किया है। आपने कभी अपने आस-पास लिव-इन देखा है क्या?
नहीं, मैं तो शादीशुदा हूं। मैं भी एक महाराष्ट्र के गांव से ताल्लुक रखता हूं। मेरे घर में भी लिव-इन पाप ही है। मेरे पापा को अगर मालूम पड़े कि लिव-इन पर मैंने फिल्म बनाई है, तो वे मेरा हाल बुरा कर देते।

लेकिन मेरे लेखक रोहन के साथ हुआ था। वो जिस लड़की से प्यार करता था उसने कहा था लिव-इन कुछ समय के लिए और तब भी रोहन का ये ही सवाल था कि कभी मेरे घर वाले आ गए तो क्या करूंगा? हालांकि रोहन की बात इससे आगे नहीं बढ़ सकी और वो अफेयर वहीं टूट गया।

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