शिशु के लिए खतरनाक है प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते में होने वाली उल्टी की समस्या, जानें कैसे?

प्रेग्नेंसी के दौरान एक महिला की कई चरणों से गुजरना पड़ता है। महिला में शारीरिक बदलाव आने के साथ साथ उसमें कई तरह के मानसिक बदलाव भी आते हैं। अगर प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते बात करें तो महिला को अपनी प्रेग्नेंसी का पता भी नहीं चल पाता। इस हफ्ते में महज भ्रूण के बनने की ही शुरुआत होती है, उसका विकास होना शुरू नहीं होता।

खतरनाक है प्रेग्नेंसी

डॉक्टर्स का कहना है कि वक्त में महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं होती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी के 40 हफ़्तों में इसे भी गिना जाता है। गर्भधारण के बाद महिला गर्भावस्था के विभिन्न चरणों से गुजरती है। प्रारंभिक चरणों में गर्भावस्था की स्थिति का पता नहीं चलता, लेकिन डॉक्टर से बीच-बीच में जांच कराने या गर्भधारण करने की संभावना होने के बाद इस स्थिति और गर्भावस्था के शुरूआती लक्षणों को पहचाना जा सकता है। इस लेख के जरिए हम बात करते हैं प्रेग्नेंथसी के लक्षणों और गर्भावस्था के पहले सप्ताहह के बारे में।

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पहले सप्ताेह के लक्षण

•  पहले हफ्ते में महिला के शरीर में अंदरूनी तौर पर बहुत से बदलाव चल रहें होंते हैं, लेकिन इस दौरान शरीर के बाहर कोई बदलाव नहीं दिखता।स्वस्थ महिला को प्रतिमाह माहवारी निश्चित समय या उसके आसपास होती है, लेकिन गर्भधारण के पहले लक्षण में माहवारी आनी बंद हो जाती है। गर्भधारण के प्रारंभिक लक्षणों में जी मिचलाना, उल्टी होना, बार-बार पेशाब जाना, आदि भी शामिल है।

•  माहवारी के 14 दिन बाद ओवुलेशन का समय शुरू होता है। यह समय गर्भधारण के लिए बेहतर होता है। गर्भधारण के बाद हार्मोंन परिवर्तन होने लगते हैं, जिससे गर्भवती महिला के व्यवहार में उतार-चढ़ाव आना शुरू हो जाता है।गर्भावस्था में महिला के शरीर में हार्मोन के बढ़ने से उनका मूड हमेशा उखड़ा-उखड़ा सा रहता है। महिला को कभी अच्छा लगता है और कभी बहुत बुरा लगता है। गर्भावस्था में उल्टियां आना एक विशेष लक्षण है। बार-बार उल्टियां आने और गर्भधारण की शंका होने पर एंटीबायोटिक लेने से अच्छाश है कि डॉक्टर की सलाह लें।

•  गर्भधारण के बाद अक्सर् थकान रहने की शिकायत होने लगती है। सिर दर्द रहने लगता है, शुरूआती दिनों में पैरों पर सूजन दिखाई पड़ने लगती है।गर्भावस्था का प्रारंभिक दौर एक माहवारी के पूरा होने से दूसरी महावारी के शुरू होने के बीच का होता है। यानी पहली महावारी के अंतिम दिन से दूसरी महावारी तक गर्भधारण हुए 28 दिन मान लिए जाते हैं। हालांकि यह तय नहीं है, लेकिन आमतौर पर गर्भधारण की प्रक्रिया में यही फॉर्मूला अपनाया जाता है।

•   पहले हफ्ते में गर्भवती महिला के मुँह का स्वािद बहुत कड़वा और कसैला सा हो जाता है। उसे किसी भी भोजन सामग्री में जायका नहीं लगता, सिर्फ खट्टी चीजों का स्वाकद ही समझ में आता है।

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गर्भधारण के बाद आहार

• गर्भधारण के बाद गर्भवती महिला के खान-पान में तुरंत बदलाव कर देना चाहिए। अब उसे अपने लिए नहीं बल्कि अपने गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए भी खाना है।गर्भधारण के तुरंत बाद यानी प्रारंभिक चरण से ही मदिरापान, नशीले पदार्थों का सेवन आदि बंद कर देना चाहिए।

• ज्यादा दिनों से फ्रिज में सुरक्षित रखा भोज्य पदार्थ का ग्रहण ना करें। इसके अतिरिक्त अधिक ठंडा बासी या गर्म चीजों का सीधा सेवन ना करें।मौसमी फलों और सब्जियों के जूस की अधिक मात्रा भोजन में शामिल करें।

•  डॉक्टर से संपर्क कर अपनी खाने-पीने की आदतों और अन्य दिनचर्या जैसे रहन-सहन आदि के बारे में बात करनी चाहिए, ताकि डॉक्टर आपको सही सलाह दे पाएं।अपने आहार में विटामिन, प्रोटीन और कैलोरी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। लेकिन ध्यान रहे विटामिन ई और सी की मात्रा कितनी ली जाए इस बारे में डॉक्टर से परामर्श कर लें।

गर्भधारण के बाद शुरूआत में विटामिन बी यानी फोलिक एसिड का सेवन करें। इस विटामिन को लेने से होने वाले बच्चे में जन्मजात दिमाग और रीढ़ की हड्डी में खराबी होने से बचा सकता है। हालांकि डॉक्टर से भी सलाह लेनी चाहिए कि क्या आप उचित मात्रा में इस विटामिन का उपयोग कर रही हैं।

 

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