क्यों महिलाओं को WEDDING RING नहीं पहननी चाहिए

सगाई की अंगूठी नारीवाद विरोधी है। ये एक ऐसी प्रक्रिया का प्रतीक है जो महिलाओं की आजादी की अवधारणा के पूरी तरह विपरीत है।

उंगली में पहनी अंगूठी बताती है कि वो महिला किसी और व्यक्ति की अमानत है। मीडिया रणनीतिकार मातील्ड सुसेकन ने शादी के बाद अंगूठी पहनाए जाने के मुद्दे पर अपनी राय रखी। ये कुछ और स्थितियों की ओर इंगित करती है।

अंगूठी में जड़ा हीरा जितना बड़ा होगा, वो पहननेवाली महिलाओं की महिमा उतनी ही बढ़ाएगा।यहां, अमरीका में मेरे सभी मित्र मेरे विचार से इत्तेफाक नहीं रखते। उनमें अधिकांश की उंगलियों में सगाई की अंगूठी है। कुछ की उंगलियों में दूसरों की तुलना में बड़ी अंगूठी है। आमतौर पर वो इसे सोशल मीडिया में और जब हमारी मुलाकात होती है, तो मुझे दिखाते हैं और मेरा मजाक उड़ाते हैं।सिर्फ मेरी पीढ़ी के लोग ही मेरे विचारों से असहमत नहीं, मेरी बेटी भी मेरा मजाक उड़ाती है।

उसका सपना सगाई की ऐसी अंगूठी पहनना है, जिसे वो गर्व के साथ दूसरों को दिखा सके। मैं उसे समझने की कोशिश करती हूं, क्योंकि मैं जानती हूं कि ये अवधारणा उस संस्कृति का हिस्सा है, जिसमें उसने जन्म लिया है। लेकिन मैं उस सोच से पूरी तरह असहमत नहीं हूं।दरअसल मुझे शादी के प्रस्ताव की पूरी प्रक्रिया ही अजीब लगती है। एक व्यक्ति का घुटनों पर टिकने का स्वांग रचना और महिला से उसका हाथ मांगना मुझे बेतुका लगता है। महिला की भूमिका गौण रहती है और उससे बेहद सार्वजनिक तरीके से ये पूछा जाता है, जैसे स्टेज पर लाइव या कैमरों के सामने, जो उसे कमजोर बनाता है। निश्चित रूप से ये पागलपन है।

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किसी से शादी करना रोमांस की हद नहीं होती।ये एक आपसी समझौता होता है। इसके आर्थिक और कानूनी नतीजे होते हैं।अगर मेरा पूर्व-पति मेरे सामने प्रस्ताव रखता, तो मैं हंसती।लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ, क्योंकि ये एक संवाद था।इस फैसले पर दोनों की सहमति थी।निश्चित रूप से महिलाएं भी आगे बढ़कर शादी का प्रस्ताव रख सकती हैं लेकिन ऐसा शायद ही होता है।

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