क्या पत्तदकल के इन प्राचीन मंदिरों के बारे में ये रोचक बाते जानते हैं आप?

पत्तदकल, कर्नाटक का एक बहुत ही मशहूर तीर्थ स्थल है। वैसे तो ये अपने आप में भी बहुत खूबसूरत है लेकिन कुछ बात जो इसे खास बहनाती है वो है यहां पर स्थित मंदिर। अब आप सोच रहे होंगे की इसमें खास क्या है? तीर्थ स्थलों पर तो मंदिर होते ही हैं। इसमें कोई दो राय नहीं की तीर्थ स्थलों पर मंदिर होते हैं, लेकिन सभी मंदिर एक के बाद एक हो और वो भी सिर्फ किसी एक भगवान ही को समर्पित हो, ये शायद और कहीं नहीं। जी हां इस सुंदर तीर्थ स्थल पर आप जितने भी मंदिरों में जाएंगे वो अधिकतर भगवान शिव को समर्पित हैं। यहीं बात इसे बाकी तीर्थ स्थलों से अलग और पर्यटकों के लिए दिलचस्प बनाती है। तो चलिए जानते हैं कौन कौन से मंदिर आपको यहां देखने को मिलेंगे।
विरूपक्षा मंदिर
विरूपक्षा मंदिर

पुरालेखों के अनुसार रानी लोक महादेवी (जिसे मूल रूप से लोकेश्वर नाम दिया गया) द्वारा बनाया गया है, जो पल्लव (चौथी 9वीं शताब्दी सीई) के खिलाफ राजा विक्रमादित्य 2 के सफल सैन्य अभियानों के बाद बनाया गया था। इस मंदिर में श्रृद्धालुओं को उग्र नरसिम्हा, नटराज, रावणानुग्रह और लिंगोद्भव की प्राचीन मूर्तियां देखने को मिलेंगी। मंदिर के अंतर बहुत बारीक नक्काशी का काम किया गया है, जो इसे काफी आकर्षक बनाता है। इसके अलावा इसी के पास स्थित है विट्ठाल मंदिर। ये मंदिर भी एक प्राचीन मंदिर है जहां पर्यटक और श्रृद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।

मल्लिकार्जुन मंदिर

मल्लिकार्जुन मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो 17वी शताब्दी में बना था। इस मंदिर का निर्माण भी राजा विक्रमादित्य 2 की पत्नी रानी लोक महादेवी ने ही करवाया था। इस मंदिर का ढांचा भी विरुपाक्ष मंदिर से काफी मेल खाता है। ये खूबसूरत मंदिर पत्तदकल आए पर्यटकों के लिए एक देखने लायाक जगह है। वहीं पास में एक और प्राचीन गौरी मंदिर भी देखा जा सकता है।

पापनाथ मंदिर पापनाथ मंदिर

विरूपाक्ष मंदिर से मात्र आधा किलोमीटर दूर, दक्षिण में स्थित है। मंदिर अंदर से इतना लंबा है कि इसमें मंडप हैं। मंदिर के एक मंडप में 16 स्तम्भ और दूसरे में 4 स्तम्भ हैं। मंदिर की छत के बीच वाला भाग शिव नटराज के रूप से सजा हुआ है। वहीं बाकी का हिस्सा भगवान विष्णु के अलग-अलग रूपों से सजाया गया है। पापनाथ से कुछ ही दूर स्थित बादामी भी पर्यटकों को खूब पसंद है। अगर आप कभी पापनाथ मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं तो बादामी जान भी आपके लिए काफी अच्छा अनुभव रहेगा।

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पत्तदकल, कर्नाटक का एक बहुत ही मशहूर तीर्थ स्थल है। वैसे तो ये अपने आप में भी बहुत खूबसूरत है लेकिन कुछ बात जो इसे खास बहनाती है वो है यहां पर स्थित मंदिर। अब आप सोच रहे होंगे की इसमें खास क्या है? तीर्थ स्थलों पर तो मंदिर होते ही हैं। इसमें कोई दो राय नहीं की तीर्थ स्थलों पर मंदिर होते हैं, लेकिन सभी मंदिर एक के बाद एक हो और वो भी सिर्फ किसी एक भगवान ही को समर्पित हो, ये शायद और कहीं नहीं। जी हां इस सुंदर तीर्थ स्थल पर आप जितने भी मंदिरों में जाएंगे वो अधिकतर भगवान शिव को समर्पित हैं। यहीं बात इसे बाकी तीर्थ स्थलों से अलग और पर्यटकों के लिए दिलचस्प बनाती है। तो चलिए जानते हैं कौन कौन से मंदिर आपको यहां देखने को मिलेंगे।

विरूपक्षा मंदिर

पुरालेखों के अनुसार रानी लोक महादेवी (जिसे मूल रूप से लोकेश्वर नाम दिया गया) द्वारा बनाया गया है, जो पल्लव (चौथी 9वीं शताब्दी सीई) के खिलाफ राजा विक्रमादित्य 2 के सफल सैन्य अभियानों के बाद बनाया गया था। इस मंदिर में श्रृद्धालुओं को उग्र नरसिम्हा, नटराज, रावणानुग्रह और लिंगोद्भव की प्राचीन मूर्तियां देखने को मिलेंगी। मंदिर के अंतर बहुत बारीक नक्काशी का काम किया गया है, जो इसे काफी आकर्षक बनाता है। इसके अलावा इसी के पास स्थित है विट्ठाल मंदिर। ये मंदिर भी एक प्राचीन मंदिर है जहां पर्यटक और श्रृद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।

मल्लिकार्जुन मंदिर

मल्लिकार्जुन मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो 17वी शताब्दी में बना था। इस मंदिर का निर्माण भी राजा विक्रमादित्य 2 की पत्नी रानी लोक महादेवी ने ही करवाया था। इस मंदिर का ढांचा भी विरुपाक्ष मंदिर से काफी मेल खाता है। ये खूबसूरत मंदिर पत्तदकल आए पर्यटकों के लिए एक देखने लायाक जगह है। वहीं पास में एक और प्राचीन गौरी मंदिर भी देखा जा सकता है।

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पापनाथ मंदिर पापनाथ मंदिर,

विरूपाक्ष मंदिर से मात्र आधा किलोमीटर दूर, दक्षिण में स्थित है। मंदिर अंदर से इतना लंबा है कि इसमें मंडप हैं। मंदिर के एक मंडप में 16 स्तम्भ और दूसरे में 4 स्तम्भ हैं। मंदिर की छत के बीच वाला भाग शिव नटराज के रूप से सजा हुआ है। वहीं बाकी का हिस्सा भगवान विष्णु के अलग-अलग रूपों से सजाया गया है। पापनाथ से कुछ ही दूर स्थित बादामी भी पर्यटकों को खूब पसंद है। अगर आप कभी पापनाथ मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं तो बादामी जान भी आपके लिए काफी अच्छा अनुभव रहेगा।

जैन नारायण मंदिर

जैन नारायण मंदिर 19वी सदी में राष्ट्रकूट किंग कृष्णा 2 की सहायता से बनवाया गया था। ये एक तीन मंजिला मंदिर है जिनमें से सबसे नीचे की मंजिल अभी भी थोड़ा सही हालत में है। बाकी मंदिरों की तरह इस मंदिर का भी चौकोर आकार है। ये मंदिर ना सिर्फ जैन धर्म के लोगों के लिए बल्कि यहां आने वाले हर धर्म के पर्यटक के लिए आकर्षण का एक केंद्र है।

जैन नारायण मंदिर

जैन नारायण मंदिर 19वी सदी में राष्ट्रकूट किंग कृष्णा 2 की सहायता से बनवाया गया था। ये एक तीन मंजिला मंदिर है जिनमें से सबसे नीचे की मंजिल अभी भी थोड़ा सही हालत में है। बाकी मंदिरों की तरह इस मंदिर का भी चौकोर आकार है। ये मंदिर ना सिर्फ जैन धर्म के लोगों के लिए बल्कि यहां आने वाले हर धर्म के पर्यटक के लिए आकर्षण का एक केंद्र है।

 

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