कोरोना पीड़ित होने की बात सुनते ही जब अपने भी साथ छोड़ देते तब एंबुलेंस कर्मी डटे रहते है अपने कर्तव्य पर…
कोरोना पीड़ित होने की बात सुनते ही जब अपने भी साथ छोड़ देते तब भी एंबुलेंस कर्मी पीछे नहीं हटते हैं। बिना डरे बिना थके वो अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाकर असली कोरोना योद्धा बनकर उभरे हैं। आमतौर पर तो लोगों की यही धारणा है कि वह अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन कोरोना जैसी भयावह बीमारी में वह कोई न कोई बहाना कर छुट्टी भी ले सकते हैं पर ऐसा नहीं किया। 108 हो या फिर 102 अथवा कोरोना संक्रमितों के लिए बनाई गई विशेष एंबुलेंस किसी भी कर्मचारी ने अपने कर्तव्यों से मुहं नहीं मोड़ा। इसी का परिणाम रहा कि लगभग 500 कोरोना पीड़ितों को विभिन्न एल-वन कोविड हॉस्पिटल में पहुंचाकर उनके प्राणों की रक्षा की। इसके अलावा इस संकटकाल में 1900 से अधिक गंभीर रूप से बीमार लोगों को त्वरित सूचना पर अस्पताल पहुंचाया गया।
-इनकी रही महती भूमिका, हर किसी ने सराहा : एंबुलेंस 108 के प्रबंधक अमित,पायलट दिनेश वर्मा,सत्य नारायण, इएमटी रंजीत व धर्मेंद्र के अलावा शिवकुमार, विजय, श्रवण पांडेय,प्रेमनाथ, वीरेंद्र,ज्ञान प्रताप,संतोष समेत अन्य कर्मचारियों ने कोरोना संकटकाल में पीड़ितों के मददगार बने। उनके कार्यो की लोग सराहना भी कर रहे हैं।
-24 घंटे सेवा में 56 एंबुलेंस : कोरोना संकट काल में 108 की 26, 102 की 26 व एएलएस की चार एंबुलेंस 24 घंटे जिले के नागरिकों की सेवा में तत्पर रही हैं। सूचना मिलने के चंद मिनटों में एंबुलेंस कर्मी अपनी टीम के साथ पहुंचकर पीड़ितों की मदद में जुटे रहे।
ड्यूटी नहीं सेवाभाव के रूप में सभी एंबुलेंस कर्मचारी कार्य पर डटे रहे। कोरोना से भय जरूर मन में आया, लेकिन कर्तव्य का बोध होते ही डर भी मन से निकल गया। इसके बाद पूरी टीम कोरोना के साथ अन्य पीड़ितों की सेवा में लगी रही।