टैंकर घोटाले में केजरीवाल की हो गिरफ्तारी

केजरीवालनई दिल्ली| दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोपों के बीच दिल्ली भाजपा के प्रमुख सतीश उपाध्याय ने शुक्रवार को वाटर टैंकर घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की मांग की। दिल्ली भाजपा प्रमुख सतीश उपाध्याय ने कहा, “इससे पहले, मैंने उनका (केजरीवाल का) इस्तीफा मांगा था और अब मैं दिल्ली पुलिस से उनकी गिरफ्तारी की मांग करता हूं।”

केजरीवाल ने दबाई थी रिपोर्ट

उन्होंने आरोप लगाया कि शीला दीक्षित की सरकार में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा साल 2012 में स्टील के 385 टैंकरों को किराये पर लेने में हुई कथित धांधली पर एक तथ्यान्वेषण समिति की रिपोर्ट को केजरीवाल ने 11 महीनों तक दबाए रखा।

उपाध्याय ने कहा, “जल मंत्री कपिल मिश्रा ने तथ्यान्वेषण समिति की रिपोर्ट केजरीवाल को दी, लेकिन इसे उप राज्यपाल को भेजने में इतना विलंब क्यों किया गया।”

भाजपा नेता ने कहा, “रद्द करने के बजाय निजी कंपनियों को 17 महीनों तक भुगतान क्यों किया गया? पूर्व में शीला दीक्षित के निजी सचिव रह चुके केशव चंद्रा को जल बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) क्यों बनाया गया?”

नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के एक अधिकारी की हत्या के मामले में केजरीवाल की पीर्टी आप पहले ही उप राज्यपाल नजीब जंग तथा भाजपा सांसद महेश गिरी की गिरफ्तारी की मांग कर चुकी है।

‘आप’ ने जंग को एक पत्र में यह भी लिखा है कि उन्हें खुद को और दिल्ली भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) प्रमुख एम.के.मीणा को दीक्षित की सरकार में हुए कथित घोटालों के चार मामलों में आरोपी बनाना चाहिए।

दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़लान ने गुरुवार को कहा कि विभिन्न घोटालों में शीला दीक्षित व अन्य ‘भ्रष्टाचारियों’ के खिलाफ प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई न करने के लिए विधानसभा की याचिका समिति जंग व मीना को तलब करेगी।

उन्होंने कहा, “उप राज्यपाल तथा एसीबी प्रमुख को तलब करने से पहले मामले पर सरकार के स्थायी वकील से कानूनी राय ली जाएगी।”

आप सरकार ने शीला दीक्षित की सरकार के दौरान साल 2012 में 385 स्टील टैंकरों को किराये पर लेने के दौरान हुई धांधली की जांच के लिए जून 2015 में एक पांच सदस्यीय तथ्यान्वेषण समिति का गठन किया था।

केजरीवाल को अगस्त 2015 में सौंपी गई रिपोर्ट में पानी के टैंकरों को किराये पर लेने के दौरान कथित तौर पर 400 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई। साथ ही समिति ने शीला दीक्षित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) व एसीबी से जांच कराने की सिफारिश की।

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