कृषि कानून: सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी से भूपिंदर सिंह ने नाम वापस लिया, बोले- किसानों के साथ हूं

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह ने कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया है। कहा कि वो किसानों के साथ हैं। फैसले की वजह बताने के लिए उन्होंने एक प्रेस रिलीज जारी की है।

भूपिंदर सिंह ने कहा, ‘चार लोगों की कमेटी में मुझे जगह दी गई, इसके लिए मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देता हूं। लेकिन, एक किसान और यूनियन लीडर होने के नाते आम लोगों और किसानों की आशंकाओं को देखते हुए, मैं इस कमेटी से अलग हो रहा हूं। मैं पंजाब और किसानों के हितों से समझौता नही कर सकता हूं। इसके लिए मैं किसी भी पद को कुर्बान कर सकता हूं और हमेशा पंजाब के किसानों के साथ खड़ा रहूंगा।’

नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को चार सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इसमें भूपेंद्र सिंह मान के अलावा इंटरनेशनल पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट अशोक गुलाटी और शेतकरी संघटना, महाराष्ट्र के अनिल घनवट का नाम था।

पहले कहा था- कमेटी पर सवाल उठाना गलत

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा रखी है और कमेटी को सुझाव पेश करने के लिए दो महीने का वक्त दिया है। इस कमेटी के गठन के बाद जब भूपिंदर सिंह से सवाल किया गया कि किसान कमेटी से बात नहीं करना चाहते हैं? इस पर उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाई है और इस पर किसान संगठनों का सवाल उठाना गलत है। उन्होंने कहा था कि एक किसान होने के नाते मैं निष्पक्ष होकर अपनी बात सरकार के सामने रखूंगा।

उन्होंने कहा था, ‘कमेटी के बाकी मेंबर्स से मेरी बात नहीं हुई है। मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं। इतना जरूर कहूंगा कि किसानों के हित के खिलाफ कोई काम नहीं करूंगा।’

जब उनसे सवाल किया गया था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में आपने इन कानूनों का समर्थन किया था, तो उन्होंने कहा था कि जब तक कमेटी से बातचीत नहीं हो जाती, मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा।

भूपिंदर सिंह मान कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके है

भूपिंदर सिंह मान ने 14 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कुछ आपत्तियों के साथ कृषि कानूनों का समर्थन किया था। पत्र में लिखा था, ‘आज भारत की कृषि व्‍यवस्‍था को मुक्‍त करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में जो तीन कानून पारित किए गए हैं, हम उन कानूनों के पक्ष में सरकार का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं।’

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