कुछ लोगों की गलती से खुल गया नरक का द्वार, जिसके बारे में सोचकर ही काँप जाती है रूह

दुनिया में ऐसी कई जगहें हैं जो आश्चर्य से भरी हैं। आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां गर्मियों में आम इंसान का जाना नामुमकिन है।

आज से करीब 47 साल पहले सोवियत वैज्ञिनिकों की एक टीम तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान पहुंची। दुनियाभर में यह जगह प्राकृतिक गैस के लिए जानी जाती है।

कुछ लोगों की गलती से खुल गया नरक का द्वार, जिसके बारे में सोचकर ही काँप जाती है रूह

सन 1971 में सोवियत वैज्ञिनिकों ने इस इलाके में खुदाई की। खुदाई करते-करते वहां एक गुफा बनती जा रही थी। वह खोदते हुए जैसे आगे गए वहां की ज़मीन का बड़ा हिस्सा धंस गया और एक चौड़े गड्ढे में तब्दील हो गया।

बता दें कि उस समय गड्ढे से इतनी गैस निकली कि वह जगह आज तक धधक रही है।

करीब 70 मीटर चौड़े इस गड्ढे को देखकर ऐसा लगता है मानों वो नरक का द्वार हो। बता दें कि यहां के स्थानीय लोग इसे Door to hell यानी नरक का दरवाज़ा ही बुलाते हैं।

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सर्दियों के मौसम में जहां यह गड्ढा लोगों को आराम देता है वहीं गर्मी में ये किसी नर्क से कम नहीं है। 2013 में नेशनल जियोग्राफिक के एक शोधकर्ता जॉर्ज कोरोउनिस ने इस गड्ढे में जाने की सोची।

वहां जाकर उन्होंने पाया कि चट्टानों, कंदराओं, पर्वतों, नदियों और समंदरों के किनारे पाया जाने वाला माइक्रोबाइल जीवन गर्म मीथेन गैस वाले वातावरण में भी सांस ले रहा था।

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