किसान कर्ज के दवाब में आत्महत्या कर रहे… मानने को तैयार नहीं शिवराज

किसान कर्ज के दवाब मेंभोपाल| एक कहावत है कि सोते को जगाया जा सकता है, जागते को भी जगाया जा सकता है, मगर चिमाने (सोने का स्वांग रचने वाला) को जगाना मुश्किल है। किसान आत्महत्याओं के मामले में यही हाल शिवराज सिंह चौहान सरकार का हो चला है, जो यह मानने को तैयार नहीं है कि किसान कर्ज के दवाब में आत्महत्या कर रहे हैं।

राज्य में बीते 12 दिनों में 20 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, इन किसानों के परिजन से लेकर आत्महत्या तक करने वाले किसान यह कह गए कि वे कर्ज और सूदखोर से परेशान थे, लिहाजा उनके पास मौत के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। इसके ठीक उलट सरकार के कई मंत्री किसानों की आत्महत्या पर संवेदना व शोक जताने की बजाय यह मानने को भी तैयार नहीं है कि कोई किसान कर्ज की वजह से आत्महत्या कर सकता है।

राज्य सरकार के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, कृषि मंत्री गौरी शंकर बिसेन, जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बयान एक जैसे हैं। वे कहते हैं कि किसी की भी मौत दुखद होती है, मगर किसान कर्ज के दवाब में आत्महत्या करे, ऐसा लगता नहीं है, क्योंकि किसानों की मौत के कारण अलग-अलग आ रहे हैं।

यहां बताना लाजिमी होगा कि सागर जिले में आत्महत्या करने वाले किसान गुलई कुर्मी ने सुसाइड नोट में साफ लिखा है कि वह सूदखोर से परेशान था, वह एक लाख के बदले उससे ज्यादा रकम दे चुका था, उसके बाद भी उससे और रकम की मांग की जा रही थी, लिहाजा वह आत्महत्या कर रहा है।

इतना ही नहीं, बड़वानी में 18 जून को जहर खाने वाले 25 वर्ष के नौजवान संदीप ने जहर पी लिया और उसकी 19 जून को मौत हो गई, मगर प्रशासन और पुलिस ने उसकी मौत की वजह कर्ज को नहीं माना, मगर गुरुवार को संदीप का सुसाइड नोट सामने आया, जिसमें कहा गया है कि उसे ट्रेक्टर की खरीदी पर सब्सिडी दिलाने का एक व्यक्ति ने वादा किया था, मगर ऐसा हुआ नहीं। वहीं फसल की पैदावार ठीक नहीं हुई, जिसके चलते वह कर्ज चुका नहीं पा रहा है और आत्महत्या कर रहा है।

इसके अलावा होशंगाबाद जिले के रंढाल में खुद पर कैरोसिन डालकर आग लगाकर आत्महत्या करने वाले बाबूलाल (40) के मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर देहात थाने की पुलिस ने चार सूदखोरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है।

आम किसान यूनियन के केदार सिरोही का कहना है कि यह सरकार असंवेदनशील हो चुकी है, बातें तो किसान हित की करती है, मगर उसका वास्तविक चरित्र किसान विरोधी है। इसे किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर में किसानों पर पुलिस की गोलीबारी और आत्महत्या को लेकर दिए जा रहे बयानों से समझा जा सकता है।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज के गृह जिले सिवनी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र हो या होशंगाबाद, रायसेन हर तरफ किसान कर्ज और सूदखारों के दवाब में आत्महत्या कर रहा है, मगर सरकार किसान की मौत को ही सवालों के घेरे में खड़ा करने पर आमादा है। सरकार का यह रवैया न केवल चिंताजनक है, बल्कि किसान विरोधी होना भी बताता है।

सूत्रों का दावा है कि राज्य सरकार ने एक खुफिया एजेंसी के जरिए सर्वे कराया, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि किसान आत्महत्या शराब पीने, पत्नी से विवाद, बेटा न होने, शादी न होने जैसे मामलों को लेकर कर रहे हैं, न कि कर्ज या फसल चौपट होने की वजह से।

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