तन और मन ख़ूबसूरत बनाने के लिए इनसे प्रेरित हुई हैं लाखों महिलाएँ

किरण डेमब्लायह जिन्दगी भी बहुत अजीब होती है, इसका हर एक पल जीने का एक अलग ही तरजुरबा देता है। यूँ तो दुःख और सुख इस राह के दो अहम पहलू होते हैं, पर सुख में तो सभी जीना चाहते हैं पर गम को गले लगाने से हर कोई कतराता है। कभी-कभी ये गम इंसान को इतना लाचार भी कर देते हैं कि इंसान ये भी भूल जाता है कि यह जिन्दगी सिर्फ उसी कि नहीं है बल्कि इसके साथ कई और जिंदगियां भी जुड़ी हुईं हैं। आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत की कहानी बताने जा रहे हैं, जो जीवन के ऐसे ही एक भंवर में फंसी, उससे उबरी और आज सभी के लिए एक मिसाल कायम करने वाली महिला के रूप में पहचानें जाने लगीं हैं। इनका नाम है किरण डेमब्ला ।

किरण डेमब्ला का सफर

किरण डेमब्ला बचपन में गायक-कलाकार बनना चाहती थीं। इसकी वजह थी कि घर-परिवार में सभी को संगीत का शौक था। किरण डेमब्ला बताती हैं, “मेरी माँ गायिका थीं। उनका सुर बहुत अच्छा था, हमारे घर में सभी सुर में गाते थे। बुआ, भाई-बहन सभी सुर में गाते थे। हममें कोई भी बेसुरा नहीं था। मुझे भी बचपन से ही गाने का शौक पड़ गया।”  बचपन में किरन की आवाज़ भी बहुत मधुर और आकर्षक थी। चार साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने स्टेज-शो करने शुरू कर दिए थे। कुछ ही दिनों में किरन अपनी गायकी की वजह से काफी मशहूर भी हो गयीं। लोग किरण डेमब्ला को ‘बेबी किरन’ के नाम से जानने लगे।

संगीत का जूनून किरण डेमब्ला पर कुछ तरह से सवार था कि वे बड़ी होकर मशहूर गायिका ही बनना चाहती थीं। इसी मक़सद से किरन ने आगे चलकर शास्त्रीय संगीत भी सीखा। उन्होंने मशहूर आगरा घराने से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के गुर सीखे। राग-रागनियों पर अपनी पकड़ मजबूत की। अपनी आवाज़ को परिपक्वता दी और उसमें विविधता भी लाई, लेकिन कुछ कारणों से उन्हें संगीत से दूर होना पड़ा। इसकी एक बड़ी वजह ये भी थी कि 1997 में उनकी शादी हो गयी। शादी के बाद उन्हें आगरा से मुंबई जाना पड़ा। ससुराल में घर-परिवार की जिम्मेदारियाँ संभालनी पड़ी। ससुराल में किरन सबसे छोटी बहु थीं, इस वजह से भी जिम्मेदारियाँ बड़ी और बहुत सारी थीं। इन्हीं जिम्मेदारियों के चलते संगीत से किरन का साथ छूट गया, लेकिन संगीत से उनका प्यार बरकरार रहा।

1999 में किरण डेमब्ला को लड़की हुई। कामकाज और भी बढ़ गया। इसी दौरान किरन के पति अजीत का तबादला बैंगलोर हो गया। पति और बेटी के साथ किरन भी बैंगलोर आ गयीं । साल 2003 में किरन को लड़का हुआ। अब दो संतानें हो गई थीं, तो ज़िम्मेदारी और कामकाज और भी बढ़ गया, लेकिन इन सब के बीच किरन को दुनिया के अलग-अलग देश घूमने और वहाँ के लोगों के रहन-सहन को देखने-समझने का भी मौका मिला। किरन के पति को अपनी कंपनी के अलग-अलग असाइनमेंट्स पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, हंगरी जैसे देश जाना पड़ा। अक्सर किरन और बच्चे भी साथ जाते। चूँकि लगातार हो रहीं विदेश-यात्राओं का असर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर पड़ने लगा था, किरन और उनके पति ने बैंगलोर में ही रहने का मन बना लिया। भारत लौटने के बाद किरन के पति को हैदराबाद में काम करने का मौका मिला तो वे परिवार के साथ यहाँ आ गयीं।

हैदराबाद आने के बाद किरण डेमब्ला की ज़िंदगी में बहुत बदलाव आये। नए शौक पैदा हुए। वे नए-नए लोगों से मिलने लगीं। काम कुछ ऐसा होने लगा कि वे बहुत ही मशहूर हो गयीं। शायद किस्मत ही उन्हें हैदराबाद लायी थी। और हैदराबाद में बदलाव ऐसे ही नहीं आये थे। बदलाव के पीछे कई घटनाएँ थी। हर घटना ने किरन को बहुत सोचने और कुछ नया करने के लिए मजबूर किया था, लेकिन ज्यादा सोचने की वजह से भी किरन को एक बड़ी मुसीबत से घिरना पड़ा।

उनके सर में बहुत दर्द होने लगा। दर्द इतना ज्यादा होता कि वे उठ-बैठ भी नहीं पातीं। उन्हें एक ही जगह पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। जब डाक्टर को दिखाया गया और परीक्षण किये गए, जब पता चला कि ज्यादा सोचने और तनाव में रहने की वजह से उनके ब्रेन में ब्लड क्लॉट हो गया है। इसके बाद इलाज शुरू हुआ। किरन बताती हैं, “शुरू में तो दवाइयों की वजह से बहुत नींद आती थी। मैं ज्यादातर समय बिस्तर पर ही पड़ी रहती। दवाइयों की वजह से मेरा वजन भी लगातार बढ़ने लगा। सर में दर्द इतना ज्यादा होता था कि मैं अपना सर हिला भी नहीं सकती थी, मुझे इंजेक्शन भी दिए जाने लगे थे और इनकी वजह से भी नींद खूब आती थी ।” हालत ये हुई कि किरन का वज़न 51 किलो से बढ़कर 75 हो गया। जब वज़न 75 किलो हो गया, तब किरन की चिंता और भी बढ़ गयी।

मन बहलाने के लिए किरन ने बच्चों को संगीत सिखाना शुरू किया था। जब बच्चों की माताएँ उन्हें किरन के पास छोड़ने आती थीं तब उन्हें देखकर किरन के मन में तरह-तरह के ख़याल आने लगे। किरन ने कहा, “मैं सोचने लगी, क्या मेरी ज़िंदगी ऐसे ही रहेगी। हर दिन एक जैसा ही रहेगा। सुबह को उठना, बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजना, खाना बनाना, घर के दूसरे काम करना। दस साल से मैं यही करती आयी थी। बच्चों की माँ को देखकर मैं अपने आपसे से पूछने लगी थी कि क्या मैं उनकी तरह खूबसूरत बन पाऊँगी?”

किरन को अजीब-अजीब सोच में डूबी और परेशानहाल देखकर उनके पति ने उन्हें योग क्लास ज्वाइन करने की सलाह दी। किरन को ये सलाह अच्छी भी लगी। उन्होंने अपनी एक दोस्त के साथ योग क्लास ज्वाइ कर ली। वे सुबह 6 बजे उठकर योग क्लास जाने लगी। उनका मन योग में लग गया और उन्हें विश्वास होने लगा कि उनका वज़न कम हो जाएगा और वे फिर से दूसरी महिलाओं की तरह खूबसूरत हो जाएँगी, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सपने टूट गए। किरन के ज्वाइन करने के दो महीने बाद ही कुछ कारणों से योग की कक्षाएँ बंद हो गयीं। किरन को बहुत धक्का पहुंचा। उन्हें लगा कि उनकी ज़िंदगी संवरने वाली है, योग से उनका तन और मन दोनों सुन्दर बनने वाले हैं, लेकिन क्लासेस के बंद होने के साथ ही उनकी उम्मीदों का रास्ता भी बंद हो गया।

किरन फिर से उन्हीं सोचों में डूब गयीं, जिनकी वजह से उनकी सेहत बिगड़ी थी। इस बार उनकी एक पड़ोसी ने उन्हें वज़न कम करने की एक तरकीब याद दिलाई। पड़ोसी ने किरन को स्विमिंग करने की सलाह दी। इस सलाह में किरन को नयी उम्मीद नज़र आयी। डाक्टर की इस सलाह को भी नज़रंदाज़ किया कि इलाज के ख़त्म होने तक उन्हें स्विमिंग नहीं करनी चाहिए।

इस बार किरन पर नया जुनून सवार था। वे स्वीमिंग के फायदे समझ चुकी थीं। उन्होंने ठान लिया था कि स्विमिंग से अपना वज़न कम कर लेंगी। इरादा इतना बुलंद था कि स्विमिंग पूल वापस लौटने के तीसरे दिन बाद ही वे आठ

फीट की ऊंचाई से पानी में छलांग लगाने लगीं। धीरे-धीरे ही सही उन्हें स्विमिंग से मदद भी मिलने लगी। उनका वजन कम होने लगा। वजन कम होने के कई फायदे भी हुए। उनकी खूबसूरती निखरने लगी। वे चुस्त रहने लगीं। उनका आत्म-विश्वास बढ़ा, और यही स्विमिंग से उनको सबसे बड़ा फायदा हुआ। फिर से किरन की ख़ूबसूरती की तारीफ़ होने लगी ।

किरन जिम क्या गयीं, उनकी ज़िंदगी कुछ ऐसे बदली कि वे एक हाउस वाइफ से सेलेब्रिटी जिम ट्रेनर बन गयीं। 75 किलो वज़न वाली मोटी महिला से  6 पैक एब्स वाली चुस्त-दुरुस्त-तंदुरुस्त महिला बन गयीं। बदलाव कुछ ऐसा था कि अजीब-अजीब ख्यालों से घिरी रहने वाली किरन अब हमेशा खुश और खुशहाल रहने लगीं। उदास, निराश और हताश रहने वाली यह सामान्य महिला अब लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गयीं।

जिम जाकर किरन ने न सिर्फ अपने जिस्म को तराशा बल्कि अपनी किस्मत भी संवारी। जिम से ही कामयाबी की नई कहानी की भी शुरुआत की । वे भारत में सिक्स पैक एब्स बनाने वाली पहली महिला बनीं। उन्होंने महिलाओं की वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया और छठा स्थान पाकर कामयाबी का डंका दुनिया भर में बजाया। जिम में मेहनत से तराशे हुए शानदार बदन से किरन ने लाखों लोगों को अपना मुरीद बनाया। बड़े-बड़े नामचीन लोग भी उनके दीवाने हो गए। मशहूर लोग अपने शरीर तो तराशने किरन के पास ट्रेनिंग के लिए आने लगे। किरन की गिनती भारत की सबसे ताकतवर महिलाओं में होने लगी। वे लाखों महिलाओं की रोल मॉडल बन गयीं।

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