अब काशी के शिल्प को भी मिलेगी उड़ान, निर्मला सीतारमण ने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने की पहल की

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने की पहल की है। इससे काशी के लाखों बुनकरों व शिल्पियों में नई उम्मीद जगी है। जीआई उत्पादों के संरक्षण और संवर्धन से परंपरागत शिल्प को विश्व फलक पर नई पहचान मिलेगी। साथ ही इससे जुड़े लाखों शिल्पियों व बुनकरों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

निर्मला सीतारमण

देश में करीब साढ़े तीन सौ उत्पादों का जीआई हुआ है। इनमें सबसे ज्यादा काशी के 11 जीआई उत्पाद हैं। लिहाजा हस्तकला और उत्कृष्ट कारीगरी के लिए विख्यात बनारस के शिल्पकारों के दिन बहुरेंगे। मोदी पार्ट-टू सरकार के पहले आम बजट में पहली बार जीआई व बौद्धिक संपदा के प्रमोशन का प्रावधान किया गया है।

जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार शिल्पियों, बुनकरों को माल तैयार कराने से लेकर अंतरराष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने तक की प्रक्रिया में मदद करेगी। विभिन्न मंत्रालयों के जरिए ट्रेनिंग से लेकर क्लस्टर आदि की सुविधाएं भी दी जाएंगी। इससे बड़े पैमाने पर स्वरोजगार का सृजन होगा। पूर्वांचल में 20 लाख शिल्पी और बुनकर हैं और 20 हजार पांच सौ करोड़ का कारोबार है। दुनिया के लगभग 50 से अधिक देशों से व्यापारिक रिश्ता है।

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ये उत्पाद जीआई में शामिल
बनारस और आसपास जिलों के शिल्प उत्पादों में बनारसी साड़ी, बनारस में बनने वाले लकड़ी के खिलौने, मेटल क्राफ्ट, गुलाबी मीनाकारी, कारपेट, दरी, ग्लास बीड्स, सॉफ्ट स्टोन कट वर्क, ब्लैक पॉटरी, गाजीपुर की वॉल हैंगिंग और चुनार बलुआ पत्थर जीआई में पंजीकृत है।

गोरखपुर का टेरा कोटा, मीरजापुर का पीतल बर्तन, रेड क्ले पॉटरी, बनारस हैंड प्रिंट, जरदोजी और वुड कार्विंग के पंजीकरण की जीआई रजिस्ट्री (चेन्नई) में लंबी कानूनी प्रक्रिया जल्द पूरी होने की उम्मीद है। जीआई पंजीकरण के साथ देश के बौद्धिक संपदा अधिकार में उत्पादों को शामिल किए जाने से इनकी नकल नहीं की जा सकती है।

बौद्धिक संपदा वाले उत्पाद को सुरक्षित और सुविधा देने की मंशा सरकार की है। इसका लाभ लाखों लोगों को होगा। सरकार के इस फैसले से एक बार फिर यह भूभाग सोने की चिड़िया बन सकेगा।

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यह कहा वित्त मंत्री ने
वित्त मंत्री ने कहा कि देश के जो परंपरागत हस्तशिल्प हैं उनको बौद्धिक संपदा अधिकार के माध्यम से जीआई टैग दिलाकर दुनिया के बाजार में पहुंचाने के लिए सरकार कटिबद्ध है। वित्त मंत्री ने पहले यह बात अंग्रेजी में कही और फिर शिल्पियों, बुनकरों के लिए इसे हिंदी में पढ़ा। इसे लेकर 30 सेकेंड तक तालियां बजती रहीं।

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