ये है एसिड आम, खाएंगे तो जाएगी जान

कार्बाइड से गर्मी का सीजन आते ही मार्केट में रसीले आम भी आने शुरू हो जाते हैं। समय से पहले बाजार में बिकने वाले इन रसीले आमों को खरीदने से पहले एक बार जांच लें कि आम को पकाने के लिए कहीं केमिकलों और मसालों का सहारा तो नहीं लिया गया है। अभी बाजार में बिक रहे आम कार्बाइड से पकाए जा रहे हैं।

दरअसल, कार्बाइड से आम बहुत जल्दी पक जाते हैं। इतना ही नहीं, मात्र 2 ग्राम कैल्शियम कार्बाइड से 1 किलो आम पकाए जा सकते हैं। लेकिन कार्बाइड से पके आम शरीर के लिए बहुत खतरनाक हैं। कार्बाइड इतना खतरनाक होता है कि अगर आप इसे पानी में डाल दें तो चंद सेकेंड में पानी तक उबलने लगता है। जब आप आम खाते हैं तो आम के साथ कार्बाइड की मात्रा भी आपके शरीर में चली जाती है। इससे गले का कैंसर, लीवर कैंसर और चर्मरोग हो सकता है।

कार्बाइड से पके आम शरीर के लिए खतरनाक

कार्बाइड गले का कैंसर, लीवर कैंसर और चर्मरोग का कारण बन सकता है

पेट दर्द, सिरदर्द चक्कर आने के साथ उल्टी भी हो सकती है

कार्बाइड लगभग 50 रुपए प्रति किलो आसानी से मार्केट में मिल जाता है

कार्बाइड कचरे में फेंक दिया जाए तो इसे खाने से पशुओं की मौत भी हो सकती है

कैसे करें कार्बाइड से पके आम की पहचान 
अगर बाक्स में आम एक ही रंग के हो तो समझ लें कार्बाइड से पका है

कार्बाइड से पके फलों को कम से कम 24 घंटे तक साफ पानी में डुबोए रखें

कार्बाइड क्‍या होता है
कार्बाइड का मूल नाम कैल्शियम कार्बाइड है, जो एक प्रकार का एसिड है

इस एसिड को आम के साथ रखा जाता है, जिसमें से एसिटिलीन गैस निकलती है

यही गैस किसी भी फल को बहुत जल्द पका देती है

आमतौर पर कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग इलेक्ट्रिक वैल्डिंग मैटेरियल में किया जाता है

 

इस बार डेढ़ गुना ज्‍यादा मिलेगा लखनवी आम

लखनऊ की चार मैंगो बेल्ट मलिहाबाद, माल, काकोरी और बीकेटी में दशहरी, चौसा, लंगड़ा, सफेदा के अलावा दूसरे किस्मों के आमों की पैदावार बढ़ने की उम्मीद है। पिछले साल चारों मैंगो बेल्ट में 5.63 लाख टन आम की पैदावारी हुई थी।
ज़िला उद्यान अधिकारी डी के वर्मा ने बताया, ‘पिछले साल 28,067 हेक्टेयर बाग में 5.67 लाख टन आम की पैदावार हुई थी। इस बार बागों में आम के दानों को देखते हुए पैदावार आठ लाख टन होने की उम्मीद की जा रही है।” पिछले साल मलिहाबाद इलाके में कम पैदावार हुई थी, जबकि माल और पड़ोस के जिले हरदोई की रहिमाबाद, हसनगंज मैंगो बेल्ट में औसत पैदावार हुई थी। पद्मश्री और मलिहाबाद के नर्सरी संचालक कलीमुल्ला खां (76 साल) बताते हैं, ”इस बार आम के पेड़ों में जो बौर और दाने दिखाई पड़ रहे हैं, ऐसी फसल जिंदगी में पहली बार देखी है।” उन्होंने बताया, ”इस बार डेढ़ गुनी फसल होने की उम्मीद है।”

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