कारगिल युद्ध जीतने में अहम किरदार निभाने वाली वायुसेना का हिस्सा रहे इंजीनियर – पूर्व वायु

कारगिल युद्ध जीतने में अहम किरदार निभाने वाली वायुसेना का हिस्सा रहे हैं इंजीनियर

– पूर्व वायु सैनिक ने साझा की कारगिल युद्ध की यादें

– देशभक्ति का जज्बा जगाकर 25 युवाओं को भेजा सेना में जागरण संवाददाता, औरैया : कारगिल युद्ध की विजय गाथा में वायुसेना का भी अहम किरदार था। चोटी पर बैठे दुश्मन पर फाइटर प्लेन से हमला कर धूल चटाने वाली स्क्वाड्रन का हिस्सा रहे वायुसैनिक सलिल सक्सेना रिटायर्ड बट नॉट टायर्ड का जज्बा रखते है। कोचिंग चला वे युवाओं में देश प्रेम की अलख जगा रहे है। उनकी प्रेरणा से अब तक 25 युवा वायुसेना का हिस्सा बन चुके है।

वायु सेना में इंजन एरो इंजीनियर पद से रिटायर्ड सलिल सक्सेना बताते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान उनकी पोस्टिग टाइगर के नाम से जानी जाती भारतीय वायु सेना के फ्रंट लाइन फाइटर मिराज 2000 के नंबर एक स्कवाड्रन में थी। जब युद्ध का आगाज हुआ तो उनके स्कवाड्रन को आदमपुर एयरफोर्स बेस से इस ‘ऑपरेशन विजय’ में शामिल होने का आदेश मिला। हमारे जांबाज साथियों ने फाइटर प्लेनों के साथ मोर्चा संभाल लिया। उनका एक मात्र टारगेट हरहाल में धोखेबाज दुश्मन के दांत खट्टे करना था। फाइटर प्लेन को फिट रखने की थी जिम्मेदारी

सभी फाइटर प्लेन के इंजनों को तकनीकी रूप से फिट रखने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। युद्ध में भाग ले रहे प्लेन में आने वाली तकनीकी खराबी को ‘फिट फॉर फ्लाइंग’ रखने के साथ ही इंजन के पा‌र्ट्स बदलकर उसे ग्राउंड रन देकर फिट घोषित करना भी उनका काम था। इसमें उनकी टीम सौ फीसद सफल रही। उन्हें इस ऑपरेशन में ग्राउंड रन लीडर भी बनाया गया था। 49 दिन बिताए जहाजों के नीचे

युद्ध के दौरान 49 दिन टैक्नीकल सुपरवाइजर के रूप में टीम के साथ प्लेन के नीचे गुजारे थे। युद्ध के समय पूरा ब्लैक आउट रहता है। रात में रोशनी का प्रयोग नहीं कर सकते इसलिए कई बार रात्रि में सिर्फ टार्च की रोशनी में विमान के इंजन खोले, तकनीकी खराबी को ठीक करके लगाया। मिल चुके पांच मैडल

पहला मैडल मरुस्थल में रहकर बिना इंट्री के 1986-88 तक सेवारत रहने पर दिया गया। कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय मैडल सहित पूरे सेवाकाल में उन्हें पांच मेडल मिले। सलिल का परिचय

पूर्व वायु सैनिक सलिल सक्सेना औरैया शहर के मोहल्ला आवास विकास के रहने वाले हैं। 31 दिसंबर 2005 में स्वैच्छिक रिटायमेंट ले लिया। उनकी प्रेरणा व शिक्षा से 25 युवक वायु सेना में सेवारत हैं। पत्नी मनीषा सक्सेना विद्यालय में प्रधानाचार्य हैं। दो बेटे सुधांशु सक्सेना व सरस सक्सेना इंजीनियर हैं। वह इस समय भारतीय स्टेट बैंक में कैश ऑफीसर के रूप में कार्यरत हैं।

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