कांग्रेस का सवाल – “चायवाला कैसे बना करोड़पति?”

keshav-prasad-maurya_1461041507एजेंसी/ चाय बेचकर पहले विधायक, फिर सांसद और अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने तक के सफर में केशव प्रसाद मौर्य करोड़पति कैसे बन गए। इस पर नया विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेसियों ने सोमवार को सिविल लाइंस सुभाष चौराहे पर एक बैनर लगाकर भाजपा के खेमे में खलबली मचा दी है। बैनर के जरिये प्रदेश अध्यक्ष से पूछा गया है कि चाय बेचने वाले केशव करोड़पति कैसे बन गए। इसके विरोध में भाजपाइयों ने सिविल लाइंस थाने का घेराव किया और बैनर लगाने वाले कांग्रेस नेता हसीब अहमद एवं श्रीश चंद्र दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की।

लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा से टिकट पाकर सांसद बने केशव प्रसाद मौर्य ने शपथपत्र में अपने और पत्नी एवं बच्चों के नाम करोड़ों की संपत्ति दिखाई थी। हालांकि यह मुद्दा तब बना, जब उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया। कांग्रेसियों ने सोमवार सुबह सिविल लाइंस के सुभाष चौराहे पर जैसे ही विवादित बैनर लगाया, भाजपा में खलबली मच गई। बैनर में उसे लगाने वालों के साथ केशव प्रसाद मौर्य और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी की तस्वीर भी है।

बैनर में लिखा है, ‘चाय बेचने वाले केशव भइया रहस्य पर से पर्दा हटाओ? करोड़पति बनने का राज तो बताओ।’ इसके अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की तस्वीर के नीचे लिखा है, ‘11 आपराधिक मुकदमों में विचाराधीन केशव प्रसाद।’ हालांकि इस बैनर के विरोध में भाजपाइयों ने पार्टी नेता आचार्य कुशमुनि स्वरूप एवं मनोज कुशवाहा के नेतृत्व में सिविल लाइंस थाने का घेराव किया और इसे प्रदेश अध्यक्ष के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी बताते हुए बैनर लगाने वाले कांग्रेसियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की।सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य शहर से बाहर हैं और उनके नाम पर सर्किट हाउस में कमरा बुक है। खास यह कि सांसद का निवास सर्किट हाउस के ठीक सामने अलकापुरी कॉलोनी में है। सांसद की ओर से प्रशासन को पत्र भेजकर 13 से 15 अप्रैल तक सर्किट हाउस में कमरा बुक करने की मांग की गई थी।

प्रशासन ने ‘सतलज’ नाम का कमरा बुक कर दिया। बाद में फोन पर आवंटन की अवधि बढ़ाने के लिए कहा गया तो अवधि बढ़ाकर 18 अप्रैल तक कर दी गई। यानी 13 से 18 अप्रैल तक कमरा उनके नाम से बुक रहा जबकि केशव 14 अप्रैल की शाम को ही वाराणसी के लिए रवाना हो गए थे।

15 अप्रैल को वह वाराणसी, 16 को मथुरा, 17 को आगरा और 18 अप्रैल को झांसी में थे। केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि उन्हेंसर्किट हाउस में कमरा बुक होने की जानकारी नहीं है।

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