कश्मीर मुद्दे पर पकिस्तान के पीछे ड्रैगन!

 

भारत के खिलाफ पकिस्ताननई दिल्ली। भारत के खिलाफ पकिस्तान द्वारा बगावत के सुर बुलंद करने की असल वजह के रूप में चीन का नाम सामने आ रहा है| यही कारण है कि कभी कश्मीर मुद्दे पर शांति पूर्वक हल चाहने वाले पकिस्तान ने कशमीरियों के संघर्ष को समर्थन देने की हिमाकत की है|

चीन ने हाल ही में कश्मीर मुद्दे पर पहली बार पकिस्तान का समर्थन किया था| चीन ने पकिस्तान को बढ़ावा देते हुए कश्मीर के हालात पर चिंता जाहिर की थी| इसके बाद नवाज शरीफ ने खुलेआम कहा कि वो कश्मीर को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं|

चीन की इस प्रतिक्रिया के बाद ही आतंकी हाफिज सईद ने खुलेआम कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ बयान दिए| हाफिज ने आतंकियों और अलगाववादी नेताओं से अपने रिश्तों को कबूल किया| आशिया अंदराबी से रिश्ते कबूल किये और जंग करने की बात की|

ये सभी घटनाएं चीन द्वारा कश्मीर पर भारत के खिलाफ बयान देने के बाद महज 48 घंटों के दौरान हुईं| इससे साफ़ है कि पकिस्तान को उकसाने के पीछे चीन का हाथ है|

चीन क्यों कर रहा है ऐसा

दक्षिण चीन सागर में भारत खुलकर चीन का विरोध न करे इसलिए चीन ने कश्मीर मुद्दे को उछाला है| कश्मीर मुद्दे पर चीन के एकाएक पाकिस्तान के साथ खड़े होने का सीधा मतलब भारत को उलझाए रखना है| इसी मकसद से ही चीन और पाकिस्तान की फौज गुलाम कश्मीर में साझा गश्त करती भी नज़र आई|

कॉरिडोर के जरिये भारत पर निशाना

पाकिस्तान में चीन 50 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है| चीन ने ये निवेश ‘चाइना-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर’ के लिए किया है| ये कॉरिडोर पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से चीन के ताशकुरगन हवाई अड्डे तक बनेगा।

इसमें कोई शक नहीं कि चीन की मंशा इस इकॉनॉमिक कॉरिडोर को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की है| इसके जरिए चीन को भारत के खिलाफ अरब महासागर में पैर जमाने का मौका मिलेगा|

अगर कभी जंग होती है तो चीन ग्वादर एयरपोर्ट का इस्तेमाल नौसैनिक अड्डे के तौर पर भी कर सकेगा| इसके जरिये चीन अरब मुल्कों से भारत तक पहुंचने वाली तेल सप्लाई को कभी भी रोक सकने में सक्षम हो सकेगा|

पीओके में साझा गश्त मकसद

पीओके में साझा गश्त का असली मकसद दशहत गर्दी रोकना नहीं बल्कि भारत को चारों तरफ से घेरना है|

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