कश्मीर की वादियों में भी छिपे हैं घूमने के अतुल्य स्थान

भारत में कश्‍मीर की तुलना जन्‍नत से की गई है। इस जगह की खूबसूरती को शब्‍दों में बयां करना कोई आसान बात नहीं है। कश्‍मीर के उत्तर में हिमालय की खूबसूरत पहाडियां और दक्षिण में पीर पंजाल है। हमेशा से ही कश्‍मीर को धरती पर स्‍वर्ग कहा गया है। श्रीनगर में पानी के झरनों वाले कई बगीचे हैं जिन्‍हें मुगल गार्डन के नाम से जाना जाता है। ये बगीचे दुनियाभर के पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं। श्रीनगर आने वाले पर्यटकों का यहां के लोग पूरे दिल से स्‍वागत करते हैं। आइए जानते हैं जन्‍नत से भी सुंदर कश्‍मीर के बारे में।

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शरीका देवी मंदिर
श्रीनगर के हरी पर्वत आने पर आपको पश्चिम में शरीदा देवी मंदिर दिखाई देगा। इस मंदिर को देवी जगदम्‍बाशरीका भगवती के लिए बनवाया गया था। मां जगदम्‍बा को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है। मंदिर में स्‍थापित देवी मां की मूर्ति की 18 भुजाएं हैं। हिंदू श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ इस मंदिर में पूजा करने आते हैं। कश्‍मीरी पंडित इस मंदिर को अत्‍यंत पवित्र मानते हैं और यहां आने वाले श्रद्धालुओं का ‘हर नवम’कह कर स्‍वागत करते हैं। शरीका भगवती के जन्‍मदिवस के अवसर पर दुनियाभ से श्रद्धालु देवी मां के दर्शन करने आते हैं। चावलों को उबालकर उसमें हल्‍दी, नमक और तेल डालकर बनाया जाता है। इस व्‍यंजल को तहर छारवन कहते हैं। मां भगवती के जन्‍म अवसर पर इस व्‍यंजन को अर्पित किया जाता है। इसके अलावा बकरे का पके मांस से बना व्‍यंजन भी चढ़ाया जाता है। कश्‍मीर आने पर किसी और जगह को देखने से पहले मां भगवती के दर्शन करने चाहिए।

जीरो ब्रिज
कश्‍मीर में जोर का मतलब बहरा होता है और इस ब्रिज को एक बहरे कॉन्‍ट्रैक्‍टर ने ही बनाया था। इस ब्रिज को जोर ब्रिज भी कहा जाता है। ये कश्‍मीर के सबसे पुराने और शानदार ब्रिजों से में से एक है जो यहां की समृद्ध सांस्‍कृतिकसंपन्‍नता को दर्शाता है। जीरो ब्रिजकश्‍मीर में झेलम नदी पर बना है। राजबाग और सोनवर के बीच ये पुल बना हुआ है और इस पर खाने के कई रेस्‍टोरेंट भी हैं जोकि पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं। इस पुल का निर्माण पैदल चलने के लिए किया गया था। ये जगह आपको किसी विदेशी पर्यटन स्‍थल का अहसास देगी। यहां के फूड कोर्ट में डाइनिंगअेबल, किचन, वॉशरूम और लॉन्‍जजैसी सुविधाएं मिलेंगी। अपनी सुविधा के अनुसार आप अपने लिए जगह चुन सकते हैं और फूड कोर्ट की छत पर कश्‍मीर की ठंड से बचने के लिए थर्मोट्रीटेडव्‍यवस्‍था भी की गई है।
रोजाबल
सूफी स्‍थल पीर दस्‍तगिर साहिब के निकट त्रिकोण आकर की घार पर स्थित है छोटा-सा हरा-भरा रोजाबल मंदिर। कहा जाता है कि मंदिर के तहखाने में ईसा मसीह की कब्र है। आज भी इस मुद्दे पर बहस होती है कि क्‍या सच में ईसा मसीह को इस जगह पर दफनाया गया था। ऐसा संभव है कि ईसा मसीह की मृत्‍यु नहीं हुई थी बल्कि उन्‍होंने अपने जीवन का आखिरी समय कश्‍मीर में बिताया था और इस मंदिर में अपनी अंतिम सांसे ली थीं। विदेशी पर्यटक इस मंदिर के बारे में जानने के लिए ज्‍यादाउत्‍सुक रहते हैं और अब तो पर्यटकों को इस मंदिर के बारे में व्‍याख्‍यान भी दिया जाता है।
चश्‍में शाही या शाही स्प्रिंग
श्रीनगर में मुगल बगीचों की संख्‍या तीन है। इनमें से सबसे छोटा बगीचा चश्‍में शाही या शाही स्प्रिंग है जिसकी लंबाई 108 मीटर और चौड़ाई 38 मीटर है। शाही और बारहमासी झरनों की एक श्रृंखला इस जगह को अद्भुत सौंदर्य प्रदान करती है। आपको बता दें कि इस जगह को 1632 ईस्‍वी में मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था। क्‍या आप जानते हैं कि इस शाही झरने को ये नाम कैसे मिला? कश्‍मीर की महान संत रूपा भवाना ने इसे ये नाम दिया था। उन्‍हेंसाहिबी के नाम से बुलाया जाता है और इसी की तर्ज पर इस जगह को ‘चश्‍मेंसाहिबी’नाम मिला। ये जगह जबरवनपहाडियों की श्रृंखला की तलहटी में श्रीनगर में राज भवन के पास बसी है। ये बगीचा अपने ठंडे शुद्ध पानी के लिए मशहूर है। इसमें तीन छतें, कई फव्‍वारे और बहते हुए झरने हैं। गार्डन में कई तरह के फल, फूल और चिनार के पेड़ हैं जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। इस उद्यान का नाम एक विशाल पर्वत वसंत के नाम पर पड़ा हैजहां से इसके झरनों को पानी मिलता है। इसलिए इसे चश्‍में शाही कहा जाता है। इसकी खूबसूरती को बनाए रखने के लिए कई बार इसके रेनोवेशन का काम करवाया गया है।

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