नहीं रहे आजाद हिंद फौज के कर्नल निजामुद्दीन

कर्नल निजामुद्दीनआजमगढ़। सुभाष चंद्र बोस के करीबी और ड्राइवर रहे कर्नल निजामुद्दीन का उनके पैतृक गांव ढकवा में 116 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।निजामुद्दीन के पिता इमाम अली सिंगापुर में कैंटीन चलाते थे। वे वर्ष 1940 में घर से भागकर अपने पिता के पास गए थे, जहां उनकी मुलाकात नेताजी सुभाषचंद्र बोस से हुई।

कर्नल निजामुद्दीन का देहांत

नेताजी से मिलने के बाद उनके मन में देशभक्ति का ऐसा जज्बा जागा कि वे उनके संग हो लिए। नेताजी ने उन्हें अपना निजी चालक नियुक्त किया। निजामुद्दीन के मुताबिक वे नेता जी के साथ बर्मा में 1943 से 1945 तक साथ रहे। निजामुद्दीन ने बताया था कि 20 अगस्त 1947 को नेताजी को उन्होंने आखिरी बार बर्मा में छितांग नदी के पास नाव पर छोड़ा था। इसके बाद कभी भी उनकी मुलाकात नेता जी से नहीं हुई।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वर्ष 1969 में निजामुद्दीन बर्मा की राजधानी रंगून से आजमगढ़ आए और तब से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा पाने के लिए संघर्षरत थे। रविवार की रात उन्होंने अपने पैतृक गांव ढकवा में अंतिम सांस ली, उनका अंतिम संस्कार सोमवार को किया गया।

कर्नल निजामुद्दीन की पत्नी अजबुनिशा फिलहाल जिंदा हैं उनकी उम्र 107 साल है। स्वतंत्रता के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले निजामुद्दीन को सरकार की ओर से कभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं दिया गया। कर्नल निजामुद्दीन ने हिंद फौज का आईकार्ड हमेशा संभाल कर रखा। मोदी सरकार द्वारा नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने के बाद उनसे मिलने नेता जी की प्रपौत्री राज्यश्री चौधरी आई थी।

बता दें कि कर्नल निजामुद्दीन के पैर छूकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में लोकसभा चुनाव लड़ते वक्त आशीर्वाद लिया था।

LIVE TV