कमांडर अभिनंदन को छोड़े जाने के पीछे ये है असली वजह, रक्षा विशेषज्ञ ने बताया…

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्‍तान के बीच चल रहे वर्तमान तनाव के दौर में पड़ोसी देश द्वारा विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को छोड़ा जाना एक महत्‍वपूर्ण घटनाक्रम है ।

इस घटनाक्रम को लेकर सैन्य कानूनों पर विभिन्न पुस्तकों के लेखक एवं सेना की विधि शाखा के प्रमुख रह चुके मेजर जनरल नीलेन्‍द्र कुमार से किए गए

उत्‍तर : भारत ने पहले ही यह स्‍पष्ट कर दिया था कि हमारे पायलट को छोड़ने के मामले में न तो कोई सौदेबाजी होगी और न ही कोई पूर्व शर्त रखी जाएगी । इस घटनाक्रम तथा सीमा पर पाकिस्‍तान द्वारा पिछले कई दिन से की जा रही गोलाबारी को ध्‍यान में रखते हुए भारत को इस मामले में कोई नरमी नहीं बरतनी चाहिए । मेरा मानना है कि दोनों देशों के बीच यह तनातनी अभी कुछ और समय तक बनी रहेगी ।

प्रश्‍न : आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इस बार भारत ने ”ऐहतियात के तौर पर आत्‍मरक्षार्थ कार्रवाई” में सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों पर प्रहार करने का यह जो नया रुख अपनाया है, क्‍या अभिनंदन को छोड़ने के बाद उसमें कुछ नरमी आएगी ?उत्‍तर : यही काम अमेरिका बहुत पहले कर चुका है ।

उस समय तत्‍काल अमेरिकी राष्‍ट्रपति जार्ज बुश ने कहा था कि उनके पास इस बात की पक्‍की सूचना है कि इराक के पास डब्‍ल्‍यूएमडी (व्‍यापक जनसंहार के हथियार) हैं । यह दूसरी बात है कि बाद में डब्‍ल्‍यूएमडी नहीं मिले । अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र समझौते के तहत ऐहतियात के तौर आत्‍मरक्षार्थ हमला करने का सिद्धान्‍त अपनाया ।

भारत ने भी यही रुख अपनाया क्‍योंकि हम पाकिस्‍तान को इस बारे में बहुत से सबूत दे चुके हैं। उन्‍हें कई बार बता चुके हैं कि जैश ए मोहम्‍मद वहां पर है, उसके शिविर वहां पर हैं । भारत ने भी इसी सिद्धान्‍त का इस्‍तेमाल कर एक मिसाल तो कायम कर दी है । अब भविष्‍य में भी यदि भारत यही रुख अपनाता है, तो वह कोई नयी बात नहीं होगी ।

प्रश्‍न : विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने के पीछे पाकिस्‍तान पर कौन से दबाव थे ? उत्‍तर : पहली बात तो पाकिस्‍तान सार्वजनिक तौर पर यह स्‍वीकार कर चुका था कि भारतीय पायलट उसके कब्‍जे में है ।

फिर भारत ने उनसे अधिकृत रूप से यह मांग की थी कि अभिनंदन को तुरंत छोड़ा जाए । इसके अलावा भारत ने सीमा पार जाकर आतंकवादी शिविरों पर जो कार्रवाई की, उससे उत्‍पन्‍न हालात में कहा जाए तो भारत का पलड़ा भारी हो गया था । इसके अलावा 1949 की जिनीवा संधि पर भारत एवं पाकिस्‍तान, दोनों ने हस्‍ताक्षर किए हैं।

यदि पाकिस्‍तान इसका पालन नहीं करता तो अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उसकी छवि और खराब हो जाती । पाकिस्‍तान की वर्तमान राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक स्‍थिति ऐसी है कि इसमें वह इस तरह का कोई जोखिम नहीं उठा सकता था । साथ ही अभिनंदन को रखने से उसे कोई लाभ नहीं मिलता क्‍योंकि युद्ध जैसी स्‍थिति और बिगड़ती ।

प्रश्‍न : पाकिस्‍तान स्‍थित आतंकवादी शिविरों पर भारत ने जो कार्रवाई की उसके बारे में आप क्‍या सोचते हैं ?उत्‍तर : भारत का कहना है कि उसने जैश ए मोहम्‍मद के मुख्‍य प्रशिक्षण केन्‍द्र के विरूद्ध कार्रवाई की है । यहां उनके प्रशिक्षु, प्रशिक्षक और उनके आका रहते थे । हमने यह कार्रवाई बिल्‍कुल सटीक ढंग से की ।

दूसरे शब्‍दों में कहें कि भारत ने यह सुनिश्‍चित किया कि आम नागरिक के जानमाल की हानि नहीं हो । प्रश्‍न : युद्बबंदियों के साथ बर्ताव के मामले में भारत और पाकिस्‍तान का ट्रैक रिकार्ड कैसा रहा है ?उत्‍तर : जहां तक पाकिस्‍तान का प्रश्‍न है, युद्धबंदियों के मामले में उनकी पृष्‍ठभूमि और हरकतें, बहुत अच्‍छी नहीं कही जा सकतीं ।

यदि हम सौरभ कालिया, हेमराज जैसे भारतीय सैनिकों का मामला देखें या कुलभूषण जाधव को देखें तो इस मामले में पाकिस्‍तान का ट्रैक रिकार्ड काला है । इसके विरूद्ध भारत ने 1971 के युद्घ में करीब एक लाख युद्धबंदियों को लौटा दिया था और किसी के साथ कोई बदसलूकी नहीं की गयी थी । इस मामले में भी भारत का पलड़ा भारी है ।

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फील्‍ड मार्शल मानेक शा ने कहा था कि जितने युद्घबंदी हैं, पकड़ते समय सभी का वजन नोट कर लो । उन्‍हें जब छोड़ा जाए तब भी उनका वजन लिया जाएगा । इससे पता चल जाएगा कि हमने क्‍या युद्धबंदियों के साथ कोई दुर्व्‍यवहार किया है । इस तरह भारत ने युद्बबंदियों के साथ जो व्‍यवहार किया वह तो इतिहास में एक मिसाल बन चुका है ।

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