जहां चीन और पाक को नहीं है एंट्री, वहां घुस गया भारत

एमटीसीआर नई दिल्‍ली। चीन के विरोध के बाद भले ही भारत को एनएसजी में सदस्‍यता न मिली हो लेकिन अब मिसाइल टेक्‍नोलॉजी कंट्रोल रिजीम यानी एमटीसीआर में भारत को आज एंट्री मिल गई। इसके साथ ही भारत के पास अब एक मौका है जिसके तहत भारत चीन से एनएसजी का बदला ले सकता है।

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एमटीसीआर में भारत की एंट्री

दरअसल चीन एमटीसीआर ग्रुप का सदस्‍य नहीं है। साल 2004 में चीन ने एमटीसीआर में एंट्री की कोशिश की थी लेकिन नॉर्थ कोरिया को मिसाइल तकनीक देने के आरोप में उसकी एप्‍लीकेशन को निरस्‍त कर दिया गया था। एमटीसीआर में भारत को सदस्‍यता मिलने के बाद उसके पास भी एक मौका होगा कि वह इस ग्रुप में चीन को एंट्री दे या नहीं। वहीं इसके साथ ही भारत की एमटीसीआर में एंट्री को एक ऐसे मौके के तौर पर देखा जा रहा है जिससे भारत चीन को ब्‍लैकमेल कर एनएसजी में भी सदस्‍यता ले सकता है।

क्‍या है एमटीसीआर

एमटीसीआर नामक इस ग्रुप को सात देशों ने मिलकर साल 1987 में बनाया था। ग्रुप में फ्रांस, कनाडा, जापान, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन और यूएस शामिल थे। आज के समय में 34 देश इस ग्रुप के सदस्‍य बन चुके हैं। उस समय इस ग्रुप को बनाने का मकसद था कि हथियारों की अंधी दौड़ में शामिल होने से कैसे बचा जाए। इस ग्रुप में चीन के साथ-साथ पाकिस्‍तान को भी जगह नहीं दी गई है।

इस ग्रुप का मकसद मिसाइलों का कम से कम इस्तेमाल है। यह ग्रुप केमिकल, बायोलॉजिकल और न्यूक्लियर मिसाइल को बनाने और उनका इस्तेमाल करने को कम करना चाहता है। इसमें शामिल होने वाले देश की नीतियों में ब्लास्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और ड्रोन्स को एक्सपोर्ट करने का प्रावधान शामिल होना चाहिए।

कैसे है एनएसजी से अलग

वहीं दूसरी तरफ साल 1974 में एनएसजी ग्रुप को बनाया गया था। अमेरिका की तरफ से इसे बनाने पर जोर भारत के परमाणु परीक्षण के बाद ही दिया गया था। फिर 48 देशों के संगठन ने मिलकर एनएसजी का निर्माण कर लिया। इसमें फैसला लिया गया कि सभी देशों को कम से कम परमाणु शक्ति सौंपी जाएगी।

साल 2008 से भारत इसमें जाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन परमाणु अप्रसार संधि यानी एनपीटी पर भारत ने दस्‍तखत करने से मना कर दिया। इस संधि के मुताबिक, जो इस पर साइन करेगा उसे अपने सारे परमाणु हथियार बर्बाद करने पड़ेंगे। पाकिस्तान जैसे पड़ोसी के होते हुए भारत परमाणु हथियार निरस्त करने का खतरा मोल नहीं लेना चाहता। इसी के कारध चीन के अलावा छह अन्‍य देशों ने भारत को एनएसजी में शामिल करने से मना कर दिया।

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