मोदी के इस मुस्लिम नेता ने सामने रखा कुरआन का सच, पढ़कर उड़ जाएंगे कट्टरपंथियों के होश
नई दिल्ली। हमेशा कुरआन की आड में आतंक को बढ़ावा देने वाले हुक्मरानों को विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने ‘आईना’ दिखाया है। उन्होंने कहा कि कुरआन भी फसादियों को खत्म कर डालने की इजाजत देता है जिससे बाकी लोगों को सुरक्षित रखा जा सके।
एनएसजी द्वारा यहां आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने गुरुवार को कहा कि भारत कट्टरपंथ का मुकाबला करने के लिए हर जरूरी कदम उठा रहा है और वास्तविकता एवं इस्लाम के संदेश को विकृत करने वाले इस मुद्दे पर जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया जाएगा।
एमजे अकबर ने दिखाय सच
भाजपा नेता एमजे अकबर ने कहा कि, भारत इस बात को लेकर आश्चर्यचकित है कि क्यों संयुक्त राष्ट्र और इसके सदस्य देशों ने कुछ सीमित नीतिगत कारणों से आतंकवाद की परिभाषा तय नहीं की है। उन्होंने यह भी कहा कि कुरआन भी फसादियों को खत्म कर डालने की इजाजत देता है जिससे बाकी लोगों को सुरक्षित रखा जा सके।
अकबर ने कहा कि यहां तक कि पवित्र कुरान में यह लिखा हुआ है कि एक फसादी का खात्मा समूचे समुदाय को बचाने के समान है। यह बहुत सच है। मेरा मतलब है कि यह उक्ति हमारे देश के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
एमजे अकबर ने कहा कि जब हम आतंकवाद का सफाया करते हैं तब हम मानवाधिकारों का संरक्षण करते हैं। यह एक चर्चा है जो लगातार चल रही है कि जो लोग आतंकवाद का खात्मा करना चाहते हैं, किसी न किसी तरह मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं, जब आतंकवाद मानव अधिकारों के लिए सबसे बड़ा खतरा है, तो क्या कोई ऐसा है जो समझदार हो और इसे चुनौती दे सके? क्या कोई ऐसा है, जो समझदार है और इस बारे में तर्क कर सके।
उन्होंने भारत और तकरीबन दर्जन भर देशों के आतंकवाद रोधी शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए यह कहा। उन्होंने कहा कि जब देश में यह नहीं दिख रहा कि काफी सारे भारतीय मुसलमान कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहे हैं, सरकार ने आतंकवाद एवं कट्टरपंथ के प्रसार का मुकाबला करने के लिए फौरी कदम उठाने की जरूरत को पहचाना।
अकबर ने कहा, ‘‘हम कट्टरपंथ पर चर्चा में, इसे चुनौती देने के तरीके ढूंढने में अग्रणी रहे हैं क्योंकि इसे न सिर्फ आपकी सुरक्षा एजेंसियों के स्तर पर निपटना होगा, बल्कि विचारों के स्तर पर भी मुकाबला करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘और हमें आशा है कि हम बहुत जल्द कट्टरपंथ पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन करने में सक्षम होंगे। इसलिए हमने सभी देशों से संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक मसौदा व्यापक समझौता स्वीकार करने में तेजी लाने के लिए साथ मिल कर और देर किए बगैर काम करने की अपील की है।
मंत्री ने आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के कोई परिभाषा तय नहीं करने पर भी भारत की निराशा जाहिर की। पिछले 20 साल में संयुक्त राष्ट्र इसकी कोई परिभाषा पाने में सक्षम नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि खुद संयुक्त राष्ट्र का नाम भी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बना था, एक स्पष्टता थी। अभी की दुनिया में कोई स्पष्टता क्यों नहीं है? उन्होंने कहा कि आतंकी संगठनों ने कट्टपंथ का पाठ पढ़ाने के दौरान वास्तविकता और इस्लाम के संदेश को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह याद रखना बहुत जरूरी है कि आतंकवाद की कीमत का डालर, रूपया या किसी तरह के धन से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि आतंकवाद शायद सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए शायद सबसे बड़ा खतरा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद की सच्ची कीमत दो तरह से महत्वपूर्ण है…यह मानना निहायत नादानी होगी कि दाएश आईएसआईएस या लश्कर ए तैयबा या जैश ए मोहम्मद जैसे संगठन का कोई राजनीतिक मकसद नहीं हैं। ये सिर्फ साधारण आतंकी संगठन नहीं हैं, जैसा कि हमने देखा है। उनका बहुत अहम राजनीतिक मंसूबा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे धर्म इस्लाम में, राजनीति पर संघर्ष पैगंबर के निधन के बाद से ही शुरू हो गया था और यही कारण है कि हमारे धर्म में शिया…सुन्नी संघर्ष है।’’