नेशनल हेल्थ मिशन की योजना, एचआईवी पीड़ितों को दिजाएगी टीबी की दवा

एचआईवी संक्रमितोंलखनऊ: एड्स मरीजों और एचआईवी संक्रमितों को अब टीबी से बचाव के लिए भी दवाएं दी जाएंगी। एड्स-एचआईवी संक्रमण के साथ टीबी के संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। एक साथ दो जानलेवा बीमारियां न हो इसके लिए यह नेशनल हेल्थ मिशन ने यह योजना तैयार किया है। राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने इस प्रस्ताव को अनुमति देने के साथ ही दवाएं भी मंगा लीं हैं।

जनवरी के अंतिम सप्ताह से प्रदेश के सभी 32 एआरटी सेंटरों पर यह दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएंगी।जरूरी है टीबी का बचाव: एड्स मरीजों में प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इस कारण उन्हे टीबी का संक्रमण होने की संभावना बहुत अधिक होती है।

एड्स के साथ यदि टीबी हो जाए तो मरीज का इलाज मुश्किल हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में एचआईवी के साथ टीबी होने की संभावना 60 प्रतिशत से अधिक है।

जिला स्तर पर होगी निगरानी: इस योजना में मरीजों या संक्रमित को आइसो नियेजिड प्रोफिलेक्सिस थेरेपी दी जाएगी। यह एक तरह की प्रतिरोधक दवा है।

एचआईवी संक्रमितों को अब टीबी से बचाव के लिए भी दवाएं दी जाएंगी..

नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक आलोक कुमार का कहना है कि प्रतिरोधक दवाएं मुफ्त उपलब्ध कराई जाएंगी। केजीएमयू मेडिसिन विभाग के डॉ. डी हिमांशु ने कहा कि यह एचआईवी संक्रमित लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर होगी।

मिशन डायरेक्टर आलोक कुमार कहते हैं कि मरीजों को सिर्फ एक दवा दी जाएगी। इससे एचआईवी की दवाओं पर कोई असर नहीं होगा।

साथ ही भविष्य में एआरटी सेंटरों पर ही टीबी जांच की सुविधा भी उपलब्ध कराने की योजना बनाई जा रही है। जल्द ही अमल होगा।

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