एचआईवी के पहले टीके का प्रभाव आंकलन शुरू

एचआईवी के पहले टीकेवाशिंगटन| एचआईवी के पहले टीके के प्रभाव का अध्ययन दक्षिण अफ्रीका में शुरू हो गया है, जिसमें यह जांच की जा रही है कि यह एड्स विषाणु के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकता है या नहीं। यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रपट के मुताबिक, ‘एचवीटीएन 702’ के नाम से किए जा रहे अध्ययन का उद्देश्य 18-35 वर्ष आयुवर्ग के यौन रूप से सक्रिय 5,400 पुरुषों व महिलाओं को अध्ययन में शामिल करना है। यह दक्षिण अफ्रीका में सबसे बड़े व अति उन्नत एचआईवी वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल है।

एचआईवी के पहले टीके के प्रभाव

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीजेज (एनआईएआईडी) के निदेशक एंथनी फाउसी ने एक बयान में कहा, “एचआईवी से बचाव के लिए हमारे अन्य साधनों के साथ एक सुरक्षित व प्रभावी टीका एचआईवी के ताबूत की अंतिम कील साबित हो सकता है।”

थाईलैंड में एचवीटीएन 702 का पहला परीक्षण हुआ था, जो एचआईवी के संक्रमण को रोकने में 31.2 फीसदी प्रभावी साबित हुआ था।

नया परीक्षण दक्षिण अफ्रीका में 15 जगहों पर किया गया है, जहां प्रतिदिन 1,000 से अधिक लोग एचआईवी से संक्रमित होते हैं। परीक्षण का उद्देश्य यह देखना है कि यह टीका पहले से अधिक प्रभावी सुरक्षा प्रदान करेगा या नहीं।

एचवीटीएन 702 के प्रोटोकॉल चेयर तथा साउथ अफ्रीकन मेडिकल रिसर्च काउंसिल के अध्यक्ष ग्लेंडा ग्रे ने कहा, “यदि एक एचआईवी टीका अफ्रीका में काम कर जाता है, तो यह इस बीमारी की महामारी में नाटकीय बदलाव लाएगा।”

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