गोरखधंधा: यहाँ सरकारी एंबुलेंस कर रही निजी अस्पतालों में काम

एंबुलेंसमेरठ| सरकारी एंबुलेंस (समाजवादी स्वास्थ्य सेवा 108 और नेशनल एंबुलेंस 102) से मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती कराकर उनका सौदा किया जा रहा है। हर माह लाखों रुपये तक की कमाई की जाती है। मात्र मुजफ्फरनगर जिले से बीते साल मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती कराकर करीब दो लाख रुपये कमीशन लिया गया।

सरकारी एंबुलेंस निजी अस्पतालों में

यह हाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर सभी जिलों का है, जहां से मरीजों को मेडिकल कॉलेज मेरठ में रैफर किया जाता है, लेकिन एंबुलेंस चालक उनको प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करा देते हैं। मामला सामने आने के बाद सरकारी एंबुलेंस को संचालित करने वाली जीवीके ईएमआरआई कंपनी के अधिकारियों ने मेरठ में डेरा डाला और एंबुलेंस से मुजफ्फरनगर के चार चालकों को हटा दिया।

बीते दिनों मेडिकल कॉलेज में मरीजों को भर्ती करने संबंधी समस्याओं को लेकर कंपनी और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के बीच में बैठक हुई थी। कंपनी के कुछ अधिकारियों ने आपत्ति जताई थी कि एंबुलेंस से जब मरीज को लाया जाता है तो उस वक्त रिसीविंग देने में आनाकानी की जाती है। साथ ही कई दफा मरीजों को भर्ती तक नहीं किया जाता है। ईएमओ अजित चौधरी और नितिन यादव ने इसका विरोध किया और कहा कि आप लोग जिले वार मेडिकल कॉलेज को रेफर होने वाले मरीजों का डाटा निकालवकर देखे तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।

इस पर जनवरी से लेकर अप्रैल में मुजफ्फरनगर से रेफर होने वाले मरीजों का डाटा मिलाया गया। इसमें जानकारी मिली कि वहां से करीब 242 मरीज रेफर हुए, जिनमें मात्र छह मरीज ही मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती हुए। इसके बाद बीते एक साल के आंकड़ों का मिलान भी कॉलेज प्रशासन के चिकित्सकों ने शुरू कर दिया। इसमें आंकड़े चौंकाने वाले सामने आए।

प्रस्तुति- अक्षय कुमार

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