दलित के घर दबंगों व पुलिस ने बरपाया कहर

बांदा। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के तेंदुरा गांव में एक दलित के घर पर धावा बोलकर पहले दबंगों ने तांडव किया, बाद में पहुंची पुलिस ने भी खूब कहर बरपाया। पीड़ित दलित ने इस जुल्म की शिकायत शनिवार को अनुसूचित जाति आयोग से की। पीड़ित दलित संतोष ने शनिवार को फोन पर बताया कि शुक्रवार को बारिश से उसके मकान का पिछवाड़ा गिर गया, जब वह उसे ठीक करने पहुंचा तो असलहों से लैस गांव के दबंग संतराम सिंह, लालू सिंह और अमित सिंह ने धावा बोल दिया। उसने घर में घुसकर जान बचाई।”

दलित के घर

उसने बताया कि वह जब शिकायत लेकर ओरन पुलिस चौकी पहुंचा, तो वहां पहले से ही किराए की जीप लिए आरोपी मौजूद थे। प्रभारी उपनिरीक्षक ने उसकी फरियाद सुनने के बजाय उसे लॉकअप में बंद कर दिया और आरोपियों से पुलिस कंट्रोल के 100 नंबर पर फोन डायल करवाया कि दलित वर्ग के लोग उन्हें घेरे हुए हैं।

पीड़ित की मानें तो 100 नंबर डायल करने के बाद चौकी इंचार्ज को तुरंत गांव पहुंचने की हिदायत दी गई, लेकिन वह खुद न जाकर सिपाही भानुप्रताप सिंह और दो अन्य सिपाहियों को गांव भेजा।

संतोष का छोटा भाई रामविलक्षण ने बताया कि पुलिस उसे गांव में इस तरह दौड़ा रही थी, जैसे वह कोई इनामी डकैत हो। उसने बताया कि वह पुलिस ने जान बचाकर भाग गया, लेकिन बाद में पुलिस के साथ आरोपी उसके घर में घुसकर गृहस्थी का सामान तोड़ डाला और महिलाओं और बच्चों के साथ मारपीट की।

उसने आगे बताया, “सिपाही भानुप्रताप ने मेरे दस साल के भतीजे पंकज को लात मार दी, जिससे वह दो घंटे बेहोश रहा।”

संतोष ने बताया कि उसने फैक्स और ई-मेल के जरिए इस घटना की शिकायत अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग के अलावा पुलिस के आला अधिकारियों से की है।

विधानसभा में नेताप्रति पक्ष जी.सी. दिनकर ने दलित उत्पीड़न की इस घटना को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा, “सपा सरकार में पुलिस को दलित उत्पीड़न करने की खुली छूट मिली हुई है। मैं इस मामले को विधानसभा में मजबूती से उठाऊंगा।”

उधर, आयोग के अध्यक्ष रामदुलार राजभर ने कहा कि पीड़ित का फैक्स आयोग को मिल चुका है, दोषी पुलिसकर्मियों को तलब कर दंडित किया जाएगा।

हालांकि उपनिरीक्षक लाखन सिंह का कहना है कि जिला मुख्यालय से फोन आने के बाद तीन सिपाही वहां पहुंचे थे। दलित के घर में पुलिस ने कोई उपद्रव नहीं किया।

लेकिन वह इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि जब फोन जिले के अधिकारी का था तो पुलिस आरोपियों के साथ उनकी किराए की जीप से तेंदुरा गांव क्यों पहुंची और उसी जीप से वापस क्यों हुई? क्या अखिलेश सरकार ने ऐसा कोई नया आदेश जारी किया है?

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