सुप्रीम कोर्ट भी नहीं कर सका इंसाफ, ‘उपहार’ में चली गयी 23 मासूमों की जान!

उपहार सिमेमा मामलेनई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उपहार सिमेमा मामले में अपना फैसला सुनाया है। लेकिन इस फैसले को लेकर हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों में निराशा है। लोगों का कहना है कि जब देश में कोर्ट ही न्याय नहीं दिला सकता तो आम आदमी इंसाफ के कहां जाए।

एक्टिविस्ट नीलम कृष्णामूर्ति जिन्होने इस हादसे में अपने दो बच्चों को खो दिया था। उन्होंने कहा है कि यह फैसला दुख पहुंचाने वाला है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर आपको न्याय चाहिए तो न्यायालय का दरवाजा कभी मत खटखटाओ। जब मीडिया और आम जनता उसकी डिमांड करे तभी न्याय मिल सकता है।

पीड़ित परिजन ने कहा कि मैं इस फैसले से बहुत आहत हूं। उस हादसे में 23 बच्चों की मौत हो गई थी और मैनें भी अपने दो बच्चों को खो दिया था। उसके बदले में हमें यह न्याय मिला है। मुझे खुद ही अंसल ब्रदर्स को गोली मार देनी चाहिए थी और आजीवन कारावास की सजा ले लेनी चाहिए थी।

नीलम ने कहा कि सुशील अंसल उस वक्त बूढ़ा नहीं था जब यह घटना घटी। लेकिन कोर्ट को यह फैसला सुनाने में 20 साल लग गए और तब तक वह 70 साल का हो गया। इस देश में कहीं न्याय नहीं है।

दिल्ली के उपहार सिनेमा हादसे में सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल अंसल को एक साल की जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने गोपाल को सरेंडर करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। गोपाल चार महीने की जेल पहले ही काट चुका है। वहीं, गोपाल के भाई सुशील अंसल को उनकी उम्र की वजह से जेल नहीं भेजा जाएगा।

यह था मामला

दिल्ली के उपहार सिनेमा में 13 जून 1997 आग लग गई थी। जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी और भगदड़ में 103 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे। हादसे के वक्त इस सिनेमाघर में ‘बॉर्डर’ फिल्म लगी हुई थी और यह हादसा शाम चार बजकर 55 मिनट पर हुआ था।

LIVE TV