एक तस्‍वीर ने बदल दी गौरव की जिंदगी, रिपब्‍लिक डे पर मिला बेस्‍ट कैडेट का मेडल

उत्तर प्रदेश के गौरव सिंहलखनऊ। उत्तर प्रदेश के गौरव सिंह को रिपब्‍लिक डे पर बेस्‍ट कैडेट के लिए मेडल मिला है। गौरव सिंह उत्तर प्रदेश के एक मात्र ऐसे एनसीसी कैडेट हैं, जिन्‍हें रिपब्‍लिक डे परेड में सीनियर डिवीजन में 2 बार शामिल होने का सुनहरा मौका प्राप्त हुआ है। बड़ी बात ये है कि गौरव को परेड करना बिल्‍कुल भी नहीं आता था। गौरव पढ़ने में बहुत कमज़ोर थे। लेकिन फिर इनकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ जिसने इन्हें इस मेडल तक पहुंचा दिया। आगे पढ़िए गौरव की कहानी गौरव की जुबानी…

उत्तर प्रदेश के गौरव सिंह ने बदली यूपी की तस्वीर

रिपब्लिक डे परेड तक पहुंचने के बारे में गौरव कहते हैं, ‘मैंने जब शिया पीजी में एडमिशन लिया तो एनसीसी ज्‍वॉइन किया, लेकिन मुझे परेड करना बिलकुल नहीं आता था।’हालांकि, वहां एक तस्वीर देखा, जिसमें डिफेन्स मिनिस्टर किसी को बेस्ट कैडेट की ट्रोफी दे रहे थे। उसे जब भी देखता था, अट्रैक्‍ट होता था और एक मोटिवेशन मिलता था।

एक दिन अपने सीनियर्स से पूछा कि सर, रिपब्लिक डे परेड में बेस्ट कैडेट की ट्रॉफी किस को मिलती है। उन्‍होंने बताया कि इस ट्रॉफी के लिए 14 लाख कैडेट्स फाइट करते हैं, उसमें से किसी एक को मिलती है।

एनसीसी के थ्रू जब मुझे पहला कैम्प मिला तो मैं गिटार ले कर गया। सर को मेरा ये अंदाज़ कुछ अलग लगा और उन्होंने मुझसे सवाल किया कि रिपब्‍लकि डे परेड में चलोगे। मुझे लगा कि मुराद पूरी हो गई और झट से हां बोल दिया।

फिर 6 महीने के लिए घर छोड़ा और एनसीसी में लग गया। इसके बाद लखनऊ बेस्ट कैडेट का अवॉर्ड जीता, फिर यूपी-उत्तरांचल बेस्ट कैडेट का अवॉर्ड हासिल किया। इसके बाद रिपब्लिक डे परेड में जाने की तैयारी शुरू किया, लेकिन लास्ट स्टेज पर ऑब्सटैकल में पैर फिसल गया और मैं घायल हो गया।

इसके बावजूद क्वालीफाई किया और फाइनल में पहुंचा। वहां भी ऑब्सटैकल में पैर फिसला और मैं गिर गया, लेकिन तभी अनाउंसमेंट हुआ कि मैं इंटरनेशनल बेस्ट कैडेट के लिए सेलेक्ट हो गया हूं।

उस कम्पटीशन के रिजल्ट में दो अवॉर्ड मिले और दोनों इंडिया के हिस्से में थे। ऐसा पहली बार हुआ था, जब एक कैडेट को दो अवॉर्ड मिला था।

गौरव ने बताया, मैं बचपन से ही पढ़ने में बहुत कमज़ोर था। इतना कमज़ोर था कि स्कूल में एडमिशन होना मुश्किल हो गया था।

एक टीचर की सिफारिश पर एडमिशन मिला, लेकिन जैसे-जैसे बड़ा हुआ पढ़ने में अच्छा हो गया। फिर बिजनेस इकॉनमी में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल किया।

गौरव के अनुसार, उन्‍हें गाना गाने, शूटिंग, गिटार और गाना लिखने का शौक है।

निर्भय रेप केस के बाद दिया लड़कियों को देना शुरू किया सेल्फ डिफेन्स ट्रेनिंग

गौरव ने बताया कि वो अब तक 50,000 लड़कियों को डिफेन्स ट्रेनिंग दे चुके हैं। दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद मैंने कल्कि डिफेन्स आर्ट की शुरुआत की, जो न सिर्फ हिंदुस्तान में, बल्कि विदेशों में भी किया।

इसमें लड़कियों को सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग देता हूं, मैंने खुद भी मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग लिया है। मैं उन लोगों में नहीं था, जो कैंडल मार्च में जाकर प्रोटेस्ट करता। मेरे लिए लड़कियों की प्रोटेक्शन के लिए ये बेस्ट तरीका था।

गौरव ‘ह्यूमन आई एम’ फाउंडेशन और कल्कि आर्ट ऑफ़ डिफेंस के फाउंडर हैं। उन्‍होंने बताया कि मैं ठाकुर कुल से हूं, लेकिन जाति-बिरादरी के बिल्‍कुल खिलाफ हूं। इसलिए अपने नाम के टाइटल में गौरव ह्यूमन लगाते हैं।

5000लोगों ने डोनेट किए सर नेम

जाति-बिरादरी जैस कुरीति को दूर करने के लिए गौरव ने एक अनोखा तरीका ढूंढा और “’ह्यूमन आई एम’ नाम की संस्था खोली, जिसमें लोगों से वो उनके सर नेम मांगने की डिमांड करते हैं।

गौरव की इस मुहीम में करीब 10,000 लोग शामिल हो चुके हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी, शिया पीजी, सेंट फेद्लिस समेत कई कॉलेज के स्टूडेंट्स अपने सर नेम की जगह ह्यूमन लगाने लगे।

उन्‍होंने बताया कि माता-पिता के नाम के आगे सर नेम लगे तो समझ आता है, लेकिन सिंह, पांडेय, सिद्दीकी, खान जैसे टाइटल बिरादरीवाद को बढ़ावा देते हैं जिससे समाज में बहुत सी नई दिक्कते पैदा हो रही हैं।

लड़कियों की शादी में दिक्कत इस की सबसे बड़ी मिसाल है।

 

LIVE TV