उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण आज, बागी रहेंगे बाहर

उत्तराखंडदेहरादून। उत्तराखंड में पिछले लगभग दो महीने से चली आ रही राजनीतिक उठापटक और कानूनी दांवपेचों के बीच सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य विधानसभा में मंगलवार सुबह 11 बजे होने वाले शक्ति परीक्षण की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने हरीश रावत के खिलाफ बगावत करने वाले कांग्रेस के नौ बागी विधायकों के शक्ति परीक्षण में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी है। इसके बाद सदन की प्रभावी क्षमता घटकर 62 और बहुमत का आंकड़ा 32 हो गया है।

उत्तराखंड की सियासत

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर होने वाले शक्ति परीक्षण के लिए बुलाए गए विशेष सत्र की सुरक्षा सहित सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने बताया कि एंग्लो-इंडियन समुदाय की ओर से मनोनीत विधायक सहित विधानसभा की प्रभावी क्षमता 62 है, जिसमें से उन्हें छोड़कर बाकी सभी विधायक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा रखे जाने वाले विश्वासमत पर अपना वोट देंगे।

उन्होंने कहा कि वह केवल उसी परिस्थिति में वोट देंगे जब सदन में पक्ष और विपक्ष के विधायकों की संख्या बराबर हो जाए और किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए उनका मत देना जरूरी हो।

विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 27 है। उसे अपने विधायकों के अलावा एक मनोनीत विधायक तथा हरीश रावत सरकार में शामिल छह सदस्यीय प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) के समर्थन का भी भरोसा है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कहना है कि पीडीएफ के सभी सदस्य एकजुट हैं और वे हमारा समर्थन करेंगे।

दूसरी तरफ मोर्चा में शामिल दो विधायकों वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अभी तक इस संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

कुंजवाल ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा रखे जाने वाले विश्वास मत की प्रक्रिया को सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि विशेष सत्र के दौरान विधानसभा परिसर में कोई भी वाहन प्रवेश नहीं करेगा। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित सभी विधायक मुख्य गेट पर उतर कर पैदल ही विधानसभा परिसर में दाखिल होंगे।

कुंजवाल के मुताबिक, कोई भी विधायक, अधिकारी या कर्मचारी मोबाइल फोन भी विधानसभा में नहीं ले जा पाएंगे।

इस दौरान, मीडियाकर्मियों के प्रवेश को भी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

गौरतलब है कि 18 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सहित कांग्रेस के नौ विधायकों के राज्य विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की मांग कर रहे भाजपा सदस्यों के समर्थन में आ जाने से प्रदेश में सियासी संकट पैदा हो गया था। इसके बाद उत्तराखंड में 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।

अपदस्थ हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र के इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायालय के आदेश के तहत आज शक्ति परीक्षण होगा।

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