उत्तराखंड के इस विश्वविद्याालय में यूजी और पीजी के दाखिले में हो सकती है दिक्कत…

गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में इस वर्ष यूजी और पीजी दाखिलों पर बड़ा संकट पैदा हो गया है। दाखिला प्रक्रिया शुरू होने के वक्त तक भी न तो सरकार आर्थिक पिछड़ों को दस प्रतिशत आरक्षण पर स्थिति साफ कर रही है और न विवि। हालात यह है कि कॉलेजों को पता ही नहीं चल पा रहा है कि इस बार वह कितनी सीटों पर दाखिले देंगे।
विश्वविद्याालय

सीबीएसई और सीआईएससीई के 12वीं के नतीजे आ चुके हैं। उत्तराखंड बोर्ड के नतीजे भी मई के अंतिम सप्ताह तक आने की संभावना है। इस बीच डीएवी, डीबीएस, एमकेपी और एसजीआरआर पीजी कॉलेज में नए सत्र के दाखिलों के लिए छात्रों की भागदौड़ शुरू हो गई है। हर साल जून के प्रथम सप्ताह में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने वाले कॉलेजों के कदम इस साल आर्थिक पिछड़ों को दस प्रतिशत आरक्षण न मिलने के कारण ठिठके हुए हैं। गढ़वाल विवि की ओर निगाहें हैं लेकिन, विवि प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है।

अभी तक सीटें ही तय नहीं

विवि के कुलसचिव जहां आरक्षण के इस मुद्दे को कॉलेजों के ऊपर छोड़ रहे हैं वहीं कॉलेजों का कहना है कि सीटें तय करने का अधिकार विवि का है। छात्र सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इस पूरी खामोशी से पैदा हो रहे दाखिला संकट में उनकी क्या गलती है? 12वीं पास करने वाले छात्र अंकित रावत का कहना है कि जब उन्होंने शहर के कॉलेजों में संपर्क किया तो पता चला कि अभी तक सीटें ही तय नहीं हैं। इसलिए वह दाखिलों की जानकारी नहीं दे सकते। इसी प्रकार, 12वीं पास करने वाली सोनिया भी दाखिलों की जानकारी न मिल पाने की वजह से परेशान हैं। मामले में विवि के कुलसचिव प्रो. एके झा से उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया गया। लेकिन, उन्होंने फोन नहीं उठाया। उन्होंने एसएमएस का भी कोई जवाब नहीं दिया। जब उनका पक्ष आएगा तो उसे प्रकाशित किया जाएगा।

एसजीआरआर ने पंजीकरण शुरू किए
आर्थिक पिछड़ों को दाखिलों में दस प्रतिशत आरक्षण के नियम की वजह से सीटें तय नहीं हैं। इसलिए एसजीआरआर ने प्रवेश प्रक्रिया तय नहीं की है। कॉलेज प्राचार्य प्रो. वीए बौड़ाई ने बताया कि फिलहाल उन्होंने सभी 12वीं पास छात्रों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुरू करा दिए हैं। ईडब्ल्यूएस पर विवि या सरकार से जो भी निर्देश मिलेंगे उनका पालन मेरिट बनाते वक्त किया जाएगा।

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